उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और अपना दल (एस) (Apna Dal S) के रिश्तों में अब खटास खुलकर सामने आने लगी है। गठबंधन की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी अपना दल ने पंचायत चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया है। यह फैसला लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान लिया गया, जो पार्टी के संस्थापक डॉ. सोनेलाल पटेल की जयंती पर आयोजित हुआ था। कार्यक्रम में अनुप्रिया पटेल और योगी सरकार में मंत्री आशीष पटेल (Ashish Patel) ने सरकार पर निशाना साधा और अपनी नाराजगी को खुलकर व्यक्त किया।
मीडिया कवरेज को लेकर सूचना विभाग पर सवाल
कार्यक्रम के दौरान मंत्री आशीष पटेल ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि यूपी सरकार और सूचना विभाग उनके खिलाफ काम कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि 1700 करोड़ रुपये के बजट वाली मीडिया में उनकी पार्टी की खबरें जानबूझकर नहीं दिखाई जातीं। उन्होंने इसे हमारे खिलाफ चलाया जा रहा प्रोपेगेंडा बताया और कहा कि अगर उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश जारी रही, तो कार्यकर्ता चुप नहीं बैठेंगे।
राजनीतिक पकड़ बरकरार
अपना दल की यूपी में खासकर कुर्मी समाज में गहरी पैठ रही है और यह 2014 से ही एनडीए का हिस्सा है। पार्टी के पास वर्तमान में यूपी विधानसभा में 13 विधायक हैं। लेकिन लखनऊ के कार्यक्रम में सभी विधायकों की गैरमौजूदगी ने यह संकेत दे दिया कि पार्टी के अंदर भी सबकुछ ठीक नहीं है। आशीष पटेल ने मंच से कहा कि जैसे-जैसे पार्टी मजबूत हो रही है, वैसे-वैसे उसके खिलाफ षड्यंत्र भी बढ़ रहे हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि जैसे ही पार्टी की जातीय जनगणना की मांग मानी गई, उसी समय प्रदेश अध्यक्ष को हटा दिया गया।
नया फ्रंट बना, विधायकों के समर्थन का दावा
इसी बीच पार्टी से बगावत कर कुछ नेताओं ने ‘अपना मोर्चा’ नाम से अलग फ्रंट बना लिया है। बागी नेता ब्रजेंद्र प्रताप सिंह का दावा है कि अपना दल के 13 में से 9 विधायक उनके साथ हैं। उन्होंने खुद को असली अपना दल’ बताया। मोर्चा के नेता ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि असली अपना दल तो हम हैं। आशीष पटेल कहते हैं कि यहां कई लोग बैठे हैं, पार्टी के राष्ट्रीय सचिव तक, लेकिन उनकी खबर नहीं छपती है, क्योंकि उनके पास 1700 करोड़ की हैसियत नहीं है।
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आखिरी चेतावनी और प्रधानमंत्री को संदेश
मंच से आशीष पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सामाजिक न्याय की बात मानने के लिए धन्यवाद जरूर दिया, लेकिन साथ ही सरकार को चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा कि पार्टी के संस्थापक कभी नहीं डरे, तो कार्यकर्ता भी किसी दबाव में नहीं आएंगे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि उनकी आवाज नहीं सुनी गई, तो वह हर मंच से जवाब देंगे। यह बयान आने वाले समय में यूपी की राजनीति में एक नए समीकरण के संकेत देता है।