उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के अचानक इस्तीफे ने राजनीतिक गलियारों में नई बहस छेड़ दी है। स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए धनखड़ ने पद से इस्तीफा दिया है, लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद पी चिदंबरम (P Chidambaram) ने इसे एक राजनीतिक मामला बताया है। चिदंबरम का दावा है कि धनखड़ को ‘सीमा लांघने’ और जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ प्रस्ताव को समर्थन देने के कारण इस्तीफा देना पड़ा।
चिदंबरम का बड़ा दावा
मीडिया से बातचीत में चिदंबरम ने कहा कि धनखड़ ने सरकार की नीतियों और निर्देशों की सीमाओं को पार कर दिया था, जिससे दोनों के बीच रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि उपराष्ट्रपति ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ प्रस्ताव को स्वीकार करके सरकार को चुनौती दी, जो उनकी विदाई की मुख्य वजह बनी। चिदंबरम ने कहा, ‘जब सरकार का भरोसा टूटता है तो पद पर बने रहना मुश्किल हो जाता है।’
चिदंबरम ने उठाए सवाल
चिदंबरम ने राज्यसभा में धनखड़ के इस्तीफे की हुई संक्षिप्त और औपचारिक घोषणा पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह दर्शाता है कि दोनों पक्षों में सम्मान का अभाव था और विदाई का माहौल नहीं था। उन्होंने कहा, “सरकार ने बिना किसी विदाई के उन्हें विदा कर दिया, जो यह संकेत है कि भरोसे के रिश्ते टूट चुके थे।”
कांग्रेस ने मांगी सरकार से स्पष्टता
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सोशल मीडिया पोस्ट के बाद भी धनखड़ के इस्तीफे को लेकर उठे सवालों पर सफाई मांगी है। विपक्षी दल का मानना है कि स्वास्थ्य कारणों के अलावा इस्तीफे के पीछे राजनीतिक कारण भी हो सकते हैं, जिन्हें सरकार को खुलकर बताना चाहिए। कांग्रेस ने कहा कि उपराष्ट्रपति का कार्यकाल अगस्त 2027 तक था, इसलिए इतनी जल्दी इस्तीफा देना संदिग्ध है।
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प्रधानमंत्री मोदी ने किया ट्वीट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस्तीफे के बाद जगदीप धनखड़ की सेवाओं की सराहना की और उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना की। उन्होंने कहा कि धनखड़ ने देश की सेवा के कई अहम पदों पर काम किया है। हालांकि, इस्तीफे के पीछे की वास्तविक वजहों को लेकर सियासी अटकलें और सवाल अभी भी बनी हुई हैं।