मुकेश कुमार, संवाददाता गोरखपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), गोरखपुर के दंत रोग विभाग ने एक जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, जिससे 12 वर्षों से बंद मरीज का मुंह फिर से खुल सका। यह ऑपरेशन ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जन डॉ. शैलेश कुमार एवं उनकी टीम ने पूरा किया।
गोरखपुर ज़िले के बेलघाट निवासी 22 वर्षीय युवती पिछले 12 वर्षों से कान के घाव और उसके ऑपरेशन के बाद उत्पन्न जटिलता से ग्रसित थी। धीरे-धीरे उसके सिर और निचले जबड़े की हड्डी आपस में जुड़ गई, जिससे वह मुंह खोलने में असमर्थ हो गई। परिणामस्वरूप, वह केवल तरल आहार पर निर्भर थी और कुपोषण की शिकार हो गई थी। कई अस्पतालों में इलाज कराने के बाद भी राहत न मिलने पर युवती के पिता ने एम्स गोरखपुर के दंत रोग विभाग में संपर्क किया।
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जांच में पता चला कि मरीज के खोपड़ी की हड्डी और निचले जबड़े की हड्डी पूरी तरह से जुड़ चुकी थी। सामान्यतः ऐसे ऑपरेशन में 5 से 6 घंटे का समय लगता है, लेकिन डॉक्टरों ने नई तकनीक अपनाकर इसे केवल 3 घंटे में पूरा कर लिया।
ऑपरेशन के दौरान चेहरे की नसों को सुरक्षित रखते हुए जुड़ी हुई हड्डी को निकाला गया। हड्डी दोबारा न जुड़े, इसके लिए मरीज के सिर के अंदर से वसा का एक हिस्सा काटकर जबड़े के जॉइंट में डाला गया। इस प्रक्रिया को इंटरपोजीशनल आर्थोप्लास्टी कहा जाता है।
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ऐसे मामलों में बेहोशी देना भी चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि मरीज का मुंह पूरी तरह बंद था। निश्चेतना विभाग की टीम ने नाक के जरिए फाइबर ऑप्टिक स्वास नली डालकर बेहोशी देने की प्रक्रिया पूरी की।
एम्स निदेशक एवं सीईओ मेजर जनरल (डॉ.) विभा दत्ता ने इस विशेष ऑपरेशन की जानकारी मिलने पर डॉ. शैलेश कुमार एवं उनकी टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह एम्स गोरखपुर के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और इससे क्षेत्र के मरीजों को अब दिल्ली या लखनऊ जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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इस जटिल ऑपरेशन को सफलतापूर्वक पूरा करने वाली टीम में मैक्सिलोफेशियल सर्जन डॉ. शैलेश कुमार, सहयोगी सर्जन डॉ. प्रवीण सिंह और डॉ. सौरभ सिंह, तथा निश्चेतना विभाग के प्रोफेसर डॉ. संतोष कुमार शर्मा, डॉ. शफाक और डॉ. अभिषेक शामिल थे।
डॉ. शैलेश कुमार ने बताया कि सही समय पर उचित इलाज मिलने से इस तरह की जटिल समस्याओं से बचा जा सकता है। उन्होंने आम जनता से अपील की कि चेहरे की किसी भी चोट या समस्या को नज़रअंदाज़ न करें और विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लें।
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ऑपरेशन के बाद मरीज की हालत स्थिर है और वह एम्स गोरखपुर के ओएमएफएस वार्ड में डॉक्टरों की निगरानी में है। इस सर्जरी से युवती के चेहरे की विकृति, साँस की समस्या और मानसिक दुष्प्रभावों को रोकने में मदद मिली है। यह सफल ऑपरेशन एम्स गोरखपुर के लिए एक बड़ी उपलब्धि और क्षेत्र के मरीजों के लिए आशा की किरण साबित हुआ है।
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