समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के नेता विनय शंकर तिवारी (Vinay Shankar Tiwari) की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनके खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। सूत्रों के अनुसार, ईडी को तिवारी और उनके परिजनों के नाम से जुड़ी 60 से अधिक बेनामी संपत्तियों का पता चला है। इन संपत्तियों में वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर प्रमाण मिले हैं।जांच में सामने आया है कि यह संपत्तियां दिल्ली-एनसीआर, लखनऊ, गोरखपुर, महराजगंज और मुंबई जैसे प्रमुख शहरों में स्थित हैं। ईडी की टीमें इन संपत्तियों से संबंधित दस्तावेजों की गहन जांच कर रही हैं और मालिकाना हक से जुड़े प्रमाण जुटाए जा रहे हैं।
न्यायिक हिरासत में भेजे गए तिवारी
इससे पहले ईडी ने तिवारी को विशेष न्यायाधीश ईडी/सीबीआई वेस्ट राहुल प्रकाश की अदालत में पेश किया था, जहां से उन्हें 19 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है। हिरासत के बाद ईडी द्वारा आगे की पूछताछ के लिए रिमांड मांगे जाने की संभावना है।
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छह बैंकों से 754 करोड़ का घोटाला
ईडी की जांच में यह भी सामने आया है कि गंगोत्री इंटरप्राइजेज लिमिटेड ने केनरा बैंक, कॉर्पोरेशन बैंक, ओबीसी, आईडीबीआई, एक्सिस बैंक और सेंट्रल बैंक से लोन के नाम पर करीब 754 करोड़ रुपए की हेराफेरी की है। यह राशि शेल कंपनियों के माध्यम से इधर-उधर की गई और केवल कागजी लेन-देन दर्शाए गए।
CBI पहले ही दाखिल कर चुकी है चार्जशीट
इस मामले में CBI ने पहले ही गंगोत्री इंटरप्राइजेज के निदेशक अजीत पांडेय, विनय शंकर तिवारी और रीता तिवारी के खिलाफ साजिश और धोखाधड़ी के आरोपों में चार्जशीट दायर की थी। मामला अक्टूबर 2020 में बैंक ऑफ इंडिया के तत्कालीन जोनल मैनेजर की शिकायत पर दर्ज किया गया था।जांच एजेंसी को इस घोटाले से जुड़ी मनी ट्रेल, शेल कंपनियों के लेनदेन और फर्जी दस्तावेजों के पुख्ता प्रमाण मिले हैं। ये दस्तावेज अब केस की कड़ी बनते जा रहे हैं।
पत्नी पर भी लटकी गिरफ्तारी की तलवार
ईडी ने पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी की पत्नी रीता तिवारी को अपनी चार्जशीट में आरोपित बनाया है, जिससे उनकी गिरफ्तारी की संभावना बढ़ गई है। वहीं, अजीत पांडेय के बेटे की गिरफ्तारी भी ईडी द्वारा की जा सकती है। सीबीआई की एफआईआर में जिनके नाम पहले से थे, उनके अलावा ईडी ने कई अन्य लोगों को भी अपनी चार्जशीट में शामिल किया है। अब इन सभी पर ईडी की कार्रवाई तेज होने की उम्मीद है।
सजा तय, बचना मुश्किल
वित्तीय अपराधों के विशेषज्ञों की मानें तो अगर ईडी द्वारा लगाए गए आरोप साबित होते हैं, तो तिवारी को 7 से 10 साल तक की सख्त सजा हो सकती है। ईडी के पास जो सबूत हैं, वे केस को मजबूत आधार प्रदान कर रहे हैं।
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