बिजली चोरी करना पड़ेगा महंगा, जल्द शुरू होगा इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम

लगातार बिजली चोरी की समस्या से जूझ रही सरकार ने अब इसपर ठोस कदम उठाने का ऐलान किया है. बिजली चोरी रोकने के लिए जल्द ही राज्यों में एक नया इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम लाने की तैयारी की जा रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार इस पर 37,000 करोड़ रुपये खर्च कर सकती है. देश में इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़ा सालाना टेक्निकल और कमर्शियल नुकसान लगभग 8,500 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. टेक्निकल नुकसान नेटवर्क की खराब स्थिति और इलेक्ट्रिसिटी के डिस्ट्रीब्यूशन में बर्बादी के कारण होता है. कमर्शियल नुकसान के पीछे बिलिंग न होना, कलेक्शन की कमी और चोरी जैसे कारण हैं.


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इस बारें में एक अधिकारी का कहना है कि ‘डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों में एरियल बंच्ड केबल्स की फंडिंग के लिए सरकार एक स्कीम लाने पर विचार कर रही है. इस स्कीम पर 37,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है और उस 20 पर्सेंट नेटवर्क को कवर करेगी जिसमें कुल टेक्निकल और कमर्शियल नुकसान 25 पर्सेंट से अधिक है.’


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उज्जवल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना के तहत वित्त वर्ष 2018 में टेक्निकल और कमर्शियल नुकसान करीब 2 पर्सेंट घटकर 18.72 पर्सेंट रहा, यह 2016 में 20.74 पर्सेंट पर था. वित्त वर्ष 2018 में 2016 की तुलना में 23 राज्यों ने इस नुकसान में कमी की है. मणिपुर ने अपना टेक्निकल और कमर्शियल नुकसान 20 पर्सेंट और असम, हरियाणा, बिहार और राजस्थान ने लगभग 10 पर्सेंट घटाया है.


लगेंगे एरियल बंच्ड केबल्स


गौरतलब है कि, बिजली चोरी करने के लिए केबल पर हुक डालना सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला तरीका है. ऐस में सरकार नई एरियल बंच्ड केबल्स इंसुलेटेड हैं के इस्तेमाल से बिजली चोरी पर रोक लगाएगी. कुछ राज्यों ने बिजली की चोरी पर नियंत्रण के लिए इनका इस्तेमाल शुरू किया है जिसके परिणाम काफी अच्छे आएं हैं.


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