मी टू पर अभिनेत्री चित्रांगदा सिंह की यादें इतनी कड़वी हैं कि वह इसे आज भी याद करते हुए रो पड़ती हैं. आईटीवी नेटवर्क के कार्यक्रम वीमेन ऑफ स्टील में इसका नजारा देखने को मिला जब वह फिल्म बाबू मोशाय बंदूकबाज के सेट पर हुई घटना को याद करते-करते अचानक से भावुक हो गईं. उनका गला रूंध गया और रूंधे हुए गले से ही उन्होंने कहा, ‘उस समय मेरे साथ ऐसा कुछ हुआ था कि मैं सेट पर ही रो पड़ी थी. उस समय मेरा साथ देने वाला कोई नहीं था. यहां तक की फिल्म की निर्माता ने महिला होने के बावजूद मेरा साथ नहीं दिया.
भारतीय महिलाओं पर बोलते हुए चित्रांगदा ने कहा कि भारतीय महिलाएं वास्तव में बहुत मजबूत होती हैं. उन्होंने कहा कि महिलाएं ना सिर्फ पूरे परिवार बल्कि पूरे समाज का भार अपने कंधों पर उठाती हैं. मी टू पर बोलते हुए चित्रांगदा सिंह ने कहा कि यह भारतीय समाज के लिए एक बहुत अच्छा ही आंदोलन है, जिसे भारतीय समाज में बहुत पहले ही शुरू हो जाना चाहिए था. फिल्मों में आइटम सॉन्ग और नारी अस्मिता को एक साथ जोड़ने से बचते हुए उन्होंने कहा, ‘फिल्मों में आइटम सांग कोई नई बात नहीं है. जीनत अमान और परवीन बॉबी के समय से यह चला आ रहा है. हालांकि इसमें थोड़ी सी डिसेंसी होनी चाहिए, गाने के लिरिक्स सही होने चाहिए.’
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