केंद्र की मोदी सरकार ने देश के करोड़ों कर्मचारियों को बड़ा झटका दिया है। जिसके तहत कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अपनी ब्याज दर में कटौती की है। वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) जमा पर ब्याज दर घटाकर पिछले वित्त वर्ष की 8.5 प्रतिशत की दर से घटाकर 8.1 फीसदी करने का प्रस्ताव शनिवार को किया गया। यह बीते चार दशक से भी अधिक समय में सबसे कम ब्याज दर है।
इससे पहले ईपीएफ पर ब्याज दर सबसे कम 8 फीसदी 1977-78 में थी। ईपीएफओ ने 31 मार्च को समाप्त हो रहे चालू वित्त वर्ष के लिए ब्याज दर उसके करीब पांच करोड़ सदस्यों के लिए तय की। एक सूत्र ने बताया कि ईपीएफओ की निर्णय लेने वाली शीर्ष संस्था सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की शनिवार को बैठक हुई जिसमें 2021-22 के लिए ईपीएफ पर ब्याज दर 8.1 फीसदी रखने का फैसला लिया गया।
Employees' Provident Fund Organisation's (EPFO's) apex decision making body Central Board of Trustees has decided to provide 8.1 % rate of interest on EPF for 2021-22 in its meeting held on Saturday. The existing rate of interest is 8.5%: Sources
— ANI (@ANI) March 12, 2022
सूत्रों ने कहा कि ईपीएफओ के पास जमा धन पर उसकी आय के आधार पर ब्याज दर तय की जाती है। जमाराशि 13 प्रतिशत बढ़ी है, वहीं ब्याज से आय केवल 8 प्रतिशत बढ़ी है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (सीबीटी) ने 2020-21 के लिए ईपीएफ जमा पर ब्याज दर 8.5 रखने का निर्णय मार्च 2021 में लिया था। इसे अक्टूबर 2021 में वित्त मंत्रालय ने मंजूरी दी थी।
अब सीबीटी के हालिया फैसले के बाद 2021-22 के लिए ईपीएफ जमा पर ब्याज दर की सूचना वित्त मंत्रालय को अनुमोदन के लिए भेजी जाएगी। मार्च 2020 में ईपीएफओ ने 2019-20 के लिए भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर सात साल में सबसे कम 8.5 फीसदी करने का फैसला किया था, जो 2018-19 में 8.65 फीसदी और 2017-18 में 8.55 फीसदी थी।
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