EPFO का दावा- बीते 17 महीने में 76 लाख लोगों को मिली नौकरी, जनवरी में दोगुने से अधिक पहुंचा रोजगार का आंकड़ा

लोकसभा चुनावों में मोदी सरकार पर सबसे बड़ा हमला बेरोजगारी को लेकर किया जा रहा है. अब चुनाव शुरू होने में बहुत कम समय बचा है और मोदी सरकार को इस मोर्च पर बड़ी राहत भरी खबर मिली है. केंद्रीय भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने रोजगार के आंकड़े जारी किए हैं. EPFO Payroll Job Data के मुताबिक पिछले 17 महीनों में फॉर्मल सेक्टर में 76.48 लाख नई नौकरियों का निर्माण हुआ. इसमें में सबसे अधिक नौकरियों का निर्माण इस साल जनवरी में हुआ. जनवरी 2019 में 8.96 लाख लोगों को नौकरी मिली. यह पिछले साल जनवरी की तुलना में 131 फीसदी अधिक है.


पिछले साल जनवरी में ईपीएफओ अंशधारकों की संख्या 3.87 लाख बढ़ी थी. सितंबर, 2017 में शुद्ध रूप से 2,75,609 रोजगार सृजित हुए थे. आंकड़ों के अनुसार ईपीएफओ की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से सितंबर, 2017 से जनवरी 2019 के दौरान करीब 76.48 लाख नये अंशधारक जुड़े. यह बताता है कि पिछले 17 महीनों में संगठित क्षेत्र में कई रोजगार सृजित हुए हैं.


ईपीएफओ से जुड़े वाले अंशधारकों की संख्या जनवरी 2019 में 8,96,516 रही जो सितंबर, 2017 के बाद सर्वाधिक है. इस बीच, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने दिसंबर, 2018 के आंकड़ों को संशोधित किया है. संशोधित आंकड़े के मुताबिक पिछले साल दिसंबर में 7.03 लाख रोजगार सृजित हुए जबकि पूर्व में इसके 7.16 लाख रोजगार सृजित होने की बात कही गई थी.


ईपीएफओ ने सितंबर, 2017 से दिसंबर, 2018 की अवधि के दौरान संचयी आधार पर रोजगार के आंकड़े को भी संशोधित किया है. संशोधित आंकड़े के मुताबिक इस दौरान 67.52 लाख रोजगार सृजित हुए जबकि पूर्व में इसके 72.32 लाख रहने का अनुमान जताया गया था. इस साल जनवरी के दौरान 2.44 लाख रोजगार 22 से 25 साल के आयु वर्ग में सृजित हुए. इसके बाद 18 से 21 साल के आयु वर्ग में 2.24 लाख रोजगार सृजित हुए.


ईपीएफओ ने यह भी कहा कि आंकड़े अस्थायी हैं क्योंकि कर्मचारियों का रिकॉर्ड जमा करना एक सतत प्रक्रिया है और जरूरत के मुताबिक उसे आने वाले महीनों में संशोधन किया जाएगा. इस अनुमान में वे कर्मचारी भी शामिल हो सकते हैं जिनका योगदान पूरे वर्ष जारी नहीं रहे. अंशधारकों का आंकड़ा आधार से जुड़ा है.


ईपीएफओ संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा से जुड़े फंड का डाटा जमा करने का काम करती है. इस संगठन के पास करीब 6 करोड़ से ज्यादा अंशधारक हैं.


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