कोरोना काल का समय हम सबके लिए चुनौती पूर्ण रहा है। इस दौरान यूपी पुलिस सहायता के लिए तत्पर रही है। कोरोना के दौरान नियमों का अनुपालन कराया गया। समाज के कमजोर वर्गों महिला बच्चों की सेवा कर मिसाल पेश की गई। इस दौरान दर्जनों पुलिसकर्मियों ने प्राणों की आहूति दी है। ऐसे में सरकार ने उनके परिजनों को मुआवजा देने का ऐलान किया था। इस घोषणा के लंबे समय बाद भी शहीदों के परिजनों को साल भर बाद भी मुआवजा नहीं मिल सका है। इसमें शासन का सख्त नियम आड़े आ रहा है।
सरकार ने किया था ऐलान
जानकारी के मुताबिक, पुलिसकर्मियों ने कानून-व्यवस्था से लेकर लॉकडाउन तक पालन कराने के लिए जान जोखिम में डालकर काम किया था। इसमें बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी भी कोरोना संक्रमित हुए। इनमें से कुछ की मौत हुई तो घोषणा की गई कि कोरोना काल में ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले पुलिसकर्मियों के परिजनों को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। जिसके बाद लोगों ने सरकार के इस फैसले की काफी सराहना की थी।
बता दें कि कोरोना की पहली लहर में संक्रमित होने के बाद लगभग 90 पुलिसकर्मियों की जान गई। पर परिजनों को मुआवजा हासिल करने के लिए कुछ ऐसी शर्तें रख दी गईं, जिन्हें पूरा कर पाना मुश्किल हो रहा है। मसलन जिस पुलिसकर्मी की मौत हुई उसकी रवानगी जीडी में दर्ज है या नहीं? जीडी में अगर ड्यूटी के लिए रवानगी दर्ज नहीं है तो संबंधित पुलिसकर्मी के परिजनों को मुआवजा हासिल करने में दिक्कत आ रही है।
50 से अधिक आवेदन निरस्त
खबरों की मानें मुआवजे का दावा करने वाले मृतक पुलिसकर्मियों के परिजनों के 50 से अधिक आवेदन शासन स्तर पर निरस्त हो चुके हैं। वहीं कई मामले शासन स्तर पर अब भी लंबित हैं। शासन के अलावा जिलाधिकारी स्तर पर भी डेढ़ दर्जन से अधिक मामले लंबित हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि परिजन सरकार के वादों के पूरा होने की राह अभी तक देख रहे हैं।
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