उत्तर प्रदेश में अखिलेश सरकार हुए बहुचर्चित रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई ने एक बड़ी कार्रवाई की है। जिसके अंतर्गत शुक्रवार को करीब 190 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। इनमें कई सुपरिंटेंड इंजीनियर और अधिशासी इंजीनियर शामिल हैं। इसके साथ ही आज सुबह सीबीआई ने उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान और पश्चिम बंगाल में 40 जगहों पर एक साथ छापेमारी की। यूपी के जिलों में लखनऊ, कोलकाता, अलवर, सीतापुर, रायबरेली, गाजियाबाद, नोएडा, मेरठ, बुलंदशहर, इटावा, अलीगढ़, एटा, गोरखपुर, मुरादाबाद और आगरा शामिल हैं।
लगातार हो रही छापेमारी
जानकारी के मुताबिक, गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई की छापेमारी जारी है। सीबीआई की टीमें ने लखनऊ में गोमतीनगर के विपुलखंड में सिंचाई विभाग के तत्कालीन एस ई अखिल रमन के आवास पर छापा मारा। इसके अलावा तत्कालीन सुप्रीडेंडेट इंजीनियर रहे रूप सिंह यादव के गाजियाबाद के कौशांबी स्थित आवास और ग्रेटर नोएडा स्थित संपत्ति पर छापा मारा। कौशांबी के शिवालिक टावर अपार्टमेंट में रहने वाले सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता रूप सिंह यादव के फ़्लैट पर तलाशी अभियान चला हुआ है। सीबीआई ने आज जिन लोगों के यहां छापा मारा उनमें उत्तर प्रदेश सरकार के अभियंता तथा अन्य अधिकारी शामिल हैं।
क्या है रिवर फ्रंट घोटाला
रिवर फ्रंट घोटाला सपा सरकार के कार्यकाल के दौरान हुआ एक बड़ा घोटाला है। सपा सरकार ने लखनऊ में गोमती रिवर फ्रंट के लिए 1513 करोड़ मंजूर किए थे। जिसमें 1437 करोड़ रुपये जारी होने के बाद भी केवल 60 फीसदी काम ही हुआ था। केंद्र सरकार द्वारा गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई जांच की संस्तुति करने से पहले योगी सरकार ने मामले की न्यायिक जांच कराई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज न्यायमूर्ति आलोक सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति ने जांच में दोषी पाए गए इंजीनियरों व अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराए जाने की सिफारिश की थी। इसके बाद 19 जून 2017 को सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता डॉ. अंबुज द्विवेदी ने गोमतीनगर थाने में धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था।
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