अरबपति से दिवालिया और अब फ्रॉड, ED जांच में 3,000 करोड़ के लोन घोटाले का खुलासा

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में सामने आया है कि 2017 से 2019 के बीच Yes Bank ने 3,000 करोड़ के लोन दिए, जिन्हें कथित रूप से शेल कंपनियों और ग्रुप की अन्य फर्मों में डायवर्ट किया गया। जांच में यह भी शक जताया गया है कि Yes Bank के अधिकारियों को रिश्वत दी गई हो सकती है।

कभी अरबपति, आज विवादों के घेरे में

अनिल अंबानी (Anil Ambani) का कारोबारी सफर हमेशा सुर्खियों में रहा है। 2002 में पिता धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद 2006 में भाई मुकेश अंबानी से कंपनी का विभाजन हुआ। अनिल को टेलीकॉम, पावर, इन्फ्रास्ट्रक्चर, फाइनेंशियल सर्विसेज और एंटरटेनमेंट जैसे सेक्टर मिले। एक समय वे दुनिया के छठे सबसे अमीर व्यक्ति थे। उनके मरीन ड्राइव पर मॉर्निंग रन, स्टाइलिश जीवनशैली और फिल्म अभिनेत्री पत्नी टीना अंबानी के साथ उनकी जोड़ी ने उन्हें लोगों के बीच लोकप्रिय बना दिया।

हॉलीवुड तक पहुंच बनाई थी अनिल अंबानी ने

2005 में Adlabs Films (बाद में Reliance MediaWorks) का अधिग्रहण और 2008 में Steven Spielberg की DreamWorks के साथ $1.2 बिलियन का संयुक्त उपक्रम, उनकी वैश्विक महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। उन्होंने Lincoln जैसी ऑस्कर विजेता फिल्म में निवेश किया था।

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अरबों की दौलत शून्य में तब्दील

2019-2020 के दौरान उनके कारोबारी समूह पर भारी कर्ज का बोझ आ गया। फरवरी 2020 में उन्होंने यूके की अदालत में खुद को दिवालिया घोषित कर दिया, यह दावा करते हुए कि उनकी संपत्ति $42 बिलियन से घटकर लगभग शून्य हो गई है।

 Jio की एंट्री से टेलीकॉम बिजनेस तबाह

Reliance Communications (RCom) को Jio के आने से जबरदस्त झटका लगा। $3 बिलियन में Jio को संपत्ति बेचने की कोशिश भी असफल रही। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि Ericsson को ₹577 करोड़ न चुकाने पर अनिल अंबानी को जेल जाना पड़ सकता है, जिसके बाद यह भुगतान किया गया।

कर्ज चुकाने के लिए 73,250 करोड़ की संपत्ति बेची

2019 से 2025 के बीच अनिल अंबानी ने बैंक कर्ज चुकाने के लिए अपनी कंपनियों की संपत्ति बेचकर ₹73,250 करोड़ जुटाए। इसमें सीमेंट, बिजली वितरण, जमीन, बीमा, म्यूचुअल फंड और सड़क परियोजनाएं शामिल थीं।

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SEBI की बड़ी कार्रवाई और SBI की ‘धोखाधड़ी’ की मुहर

2024 में SEBI ने अनिल अंबानी, तीन अधिकारियों और 23 कंपनियों को 5 साल के लिए बाजार से प्रतिबंधित कर दिया। 2025 में SBI ने Reliance Communications और अनिल अंबानी को ‘धोखेबाज’ घोषित किया। हालांकि, NCLAT ने दिवालियापन की कार्यवाही पर रोक लगा दी और कंपनी की क्रेडिट रेटिंग में तीन स्तरों की बढ़ोतरी हुई।

कुछ क्षेत्रों में फिर से पकड़ बना रहे हैं

2025 की पहली तिमाही में Reliance Power ने ₹44.68 करोड़ का लाभ दिखाया और ऋण में बड़ी कमी दर्ज की। कंपनी को भूटान में 500-MW सोलर और 770-MW हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स भी मिले।

डिफेंस में अंतरराष्ट्रीय सौदे

Reliance Defence को जर्मन कंपनी Rheinmetall से ₹600 करोड़ का ऑर्डर मिला और US कंपनी Coastal Mechanics के साथ 200 से ज्यादा विमानों के अपग्रेड का समझौता हुआ। 2017 में नागपुर के Mihan-SEZ में Dassault के साथ संयुक्त उपक्रम के तहत Rafale के पुर्जों का निर्माण शुरू किया गया था।

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व्यक्तिगत संपत्ति में थोड़ी बढ़ोतरी

2020 में खुद को दिवालिया घोषित करने वाले अनिल अंबानी की संपत्ति अब $3 बिलियन तक पहुंची है। हालांकि, यह उनके चरम समय के मुकाबले काफी कम है।

टेलीकॉम और एंटरटेनमेंट से बाहर, बाकी क्षेत्रों में बचा वजूद

आज Reliance Group बिजली, रक्षा और इन्फ्रास्ट्रक्चर में सक्रिय है, लेकिन टेलीकॉम और एंटरटेनमेंट में उनका प्रभाव लगभग खत्म हो गया है। सूचीबद्ध कंपनियां वित्तीय अस्थिरता और रेगुलेटरी जांच का सामना करती रह रही हैं।

जांच और छापेमारी से फिर बना अनिश्चितता का माहौल

ईडी की ताजा जांच और घोटाले के आरोपों से एक बार फिर अनिल अंबानी और उनकी कंपनियों के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं। एक समय भारत के कॉर्पोरेट भविष्य के प्रतीक माने जाने वाले अनिल आज फिर से कानूनी और आर्थिक संकट में घिरे नजर आ रहे हैं।

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