साल 2018 के अंत से शुरू सोने की चमक नए साल 2019 की शुरुवात में भी बरकार है. बाजार में सोने की चमक इतनी बढ़ चली है की, सोने की कीमत 6 साल के सबसे उच्चतम स्तर पहुंचने वाला है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों की बात करें तो इस साल के अंत तक अंतरराष्ट्रीय बाजार सोने की कीमत 1,425 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचने का अनुमान है. गोल्डमैन साक्स की कीमतों में 10% उछाल का अनुमान भी लगाया जा रहा है. गौरतलब है की मई 2013 में सोना घरेलू बाजार में सोना 27,200 रुपए प्रति 10 ग्राम और डॉलर 54 रुपए के आसपास था. ऐसे में साल 2018 में सोने की कीमतों में 11% का उछल देखने को मिला.
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अधिक जानकारी के लिए हम आपको बात दें कि, वैश्विक कीमतों में तेजी आने पर सोने की कीमतें भारत में भी बढ़ जाती हैं. वैश्विक स्तर पर कीमतें बढ़ी तो इसका सर देश पर भी पड़ेगा। वैश्विक बाजार में इस वक्त प्रति औंस सोने कि कीमतें 1,294 डॉलर है. शु़क्रवार को दिल्ली में कीमत 33,030 रुपए प्रति 10 ग्राम थी और पिछले साल अगस्त से अबतक कीमतों में 11% की बढ़ोतरी हुई है.
बाजार में बना हुआ है मंडी का डर
गौरतलब है की केंद्रीय बैंक मंदी कि आशंका के कारण ज्यादा मात्रा में सोने की खरीद कर रहे हैं, क्योंकि मंदी में सोना एक सुरक्षित माध्यम माना जाता है. वहीं दूसरी ओर शुक्रवार को कच्चे तेल में बढ़ोतरी देखी गई. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम 61.7 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है. यह दाम आठ फीसदी बढ़ा है जो पिछले दो साल उच्चतम स्तर है. आपको बता दें कि, भारत अपनी जरुरत का 80 फीसदी कच्चा तेल आयत करता है. कच्चे तेल की कीमत 10 डॉलर बढ़ने से चालू खाते का घाटा 12.5 अरब डॉलर बढ़ जाता है, और इसी कारण महंगाई 0.49% बढ़ती है. बाजार के जानकारों के मुताबिक बाजार में यह तेजी अमेरिका-चीन में व्यापारिक तनाव और ओपेक देशों और रूस द्वारा 12 लाख बैरल रोजाना तेल उत्पादन में कटौती करने से आई है. कीमतों में बढ़ोतरी का यह सिलसिला आगे भी जारी रहने का अनुमान है.
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एशिया में रुपया बना सबसे कमजोर करेंसी
पिछले साल तक रुपया जहां एशिया की सबसे मजबूत करेंसी हुआ करता था वहीं बीते दो हफ्तों ने इसे सबसे सबसे कमजोर करेंसी बना दिया है. इस साल दो हफ्ते में रुपया 1.53% कमजोर हुआ है. आम चुनाव से पहले किसानों को राहत पैकेज देने पर राजकोषीय घाटा बढ़ने का अनुमान है. कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और अधिक आयात भी राजकोषीय घाटा बढ़ने के पीछे की वजह बन सकता है. इससे रुपये में और अंजोरी देखने को मिल सकती है. पिछले साल रुपया करीब 13% गिरा था.
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