UP में ‘विप्र वोटरों’ को लुभाने की कवायद, रवि किशन बोले- चुनाव आते ही विपक्ष को याद आने लगते ब्राह्मण

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी हो, बहुजन समाज पार्टी हो या कांग्रेस सभी दल इन दिनों ब्राह्मणों को लुभाने की कवायद कर रहे हैं. विप्र वोटरों की इसी राजनीति को लेकर गोरखपुर से सांसद और बीजेपी नेता रवि किशन (Ravi Kishan) ने विपक्षी दलों पर हमला बोला है. रवि किशन ने कहा कि उत्तर प्रदेश में चुनाव (UP assembly election) आते ही लोगों को ब्राह्मणों की याद आने लगी. इससे पहले यह लोग सिर्फ निजी स्वार्थ हेतु राजनीति करते थे.


रवि किशन ने मानसूत्र सत्र को लेकर विपक्ष पर जमकर हमला बोला है. बीजेपी सांसद ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि संसद के मानसून सत्र में लगातार विपक्षी पार्टियों की ओर से अवरोध उत्पन्न किया जा रहा है. इस तरह के अवरोध लाकर न सिर्फ संसद का अपमान कर रहे हैं, बल्कि देश के आम नागरिकों का पैसा बर्बाद करने के साथ महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करने से पीछे भाग रहे हैं.


UP चुनाव आते ही आने लगी ब्राम्हणों की याद: रवि किशन

दरअसल, रवि किशन विविध कार्यक्रमों में शिरकत करने के लिए वाराणसी पहुंचे हैं. सर्किट हाउस में पहुंचते ही उनके प्रशंसकों में सेल्फी लेने की होड़ सी मच गई. इसके बाद मीडिया से बात करते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश में चुनाव आते ही लोगों को ब्राह्मणों की याद आने लगी. इससे पहले यह लोग सिर्फ निजी स्वार्थ हेतु राजनीति करते थे.


जानें सत्ता पाने के लिए क्यों अहम है ब्राह्मण वोट ?

एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में ब्राह्मण वोटरों की संख्या 10 से 11 प्रतिशत है. ये संख्या भले ही अन्य जातियों की अपेक्षा कम हो, मगर यूपी की राजनीति में ब्राह्मणों का वर्चस्व रहा है. आजादी के बाद से 1989 तक 6 ब्राह्मण मुख्यमंत्री बने. हालांकि 1990 में मंडल आंदोलन के बाद यूपी को कोई ब्राह्मण मुख्यमंत्री नहीं मिला. इसकी सबसे बड़ी वजह यह रही कि यूपी की सियासत पिछड़े, मुस्लिम और दलित पर केंद्रीय हो गई.


सियासत का यह सिलसिला 2007 तक जारी रहा. लेकिन 2007 में मायावती की सोशल इंजिनियरिंग ने एक बार फिर प्रदेश में ब्राह्मण वोटों का महत्व बढ़ा दिया. तब से जो भी दल सत्ता में आए उसमें ब्राह्मण वोटों की अहम भूमिका रही. 2007 में जब मायावती सत्ता में आईं तो उस समय बीएसपी से 41 ब्राह्मण विधायक चुने गए. 2012 में सरकार बनाने वाली समाजवादी पार्टी के पास 21 ब्राह्मण विधायक थे. 2017 के विधानसभा चुनावों में कुल 56 ब्राह्मण विधायक जीते थे. इनमें 46 बीजेपी के टिकट पर जीते थे. यही वजह है कि हर दल ब्राह्मणों को अपनी तरफ रिझाने में जुटा है.


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