कोच्चि के एक कॉलेज में कथित तौर पर इस्लाम समर्थक एक संगठन PFI (पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया) के सदस्यों ने एसएफआई के एक नेता की चाकू मार कर हत्या में मामले केंद्र सरकार ने सख्त रूख अपनाया है. इस हत्या में पीएफआई के कथित लिंक के 17 दिनों बाद सूत्रों की मानें तो गृह मंत्रालय (एमएचए) फिर से पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता का मूल्यांकन कर रहा है. पीएफआई प्रतिबंध पर एक रिपोर्ट के पुनर्मूल्यांकन के लिए केरल में खुफिया विंग से एक रिपोर्ट मांगी है. सूत्रों ने आगे बताया कि केरल के गवर्नर न्यायमूर्ति खुफिया विभाग एडीजीपी टीके विनोद कुमार से एक रिपोर्ट मांगी है.
विनोद कुमार ने अब कथित तौर पर एक दस्तावेज में दो घटनाओं का जिक्र किया है, जिसमें से एक महाराजा कॉलेज के छात्र अभिमन्यु की हत्या का उल्लेख करती है, और एक ऐसी घटना जिसमें सीपीएम के झंडा फहराने का स्तम्भ में बीजेपी झंडा लगाने में पीएफआई की कथित भूमिका कथित तौर पर भूमिका वाली घटना का जिक्र किया गया है.
दस्तावेज में कथित तौर पर पीएफआई और एसडीपीआई ( सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया – पीएफआई की राजनीतिक शाखा) की उस भूमिका की जांच का उल्लेख है. जिसमें 200 से अधिक व्हाट्सएप समूह में फर्जी खबरों के माध्यम से केरल में सांप्रदायिक हिंसा फैलाने का प्रयास किया गया था.
गौरतलब है कि महाराजा कॉलेज के छात्र अभिमन्यु की हत्या के मामले में पुलिस ने शनिवार को 700 लोगों को गिरफ्तार किया है. ये लोग डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया(SDPI) और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया(PFI) के कार्यकर्ता हैं. इन सभी पर अभिमन्यु की हत्या और सांप्रदायिक तनाव फैलाने का आरोप है.
जानकारी के लिए बता दें कि सएफआई नेता अभिमन्यु स्नातक का द्वितीय वर्ष का छात्र था और इडुक्की जिले के वत्तावडा का निवासी था. वह संगठन की इडुक्की जिला समिति का भी सदस्य था.
यह कोई नया वाकया नहीं हैं PFI पर इससे पहले भी सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के कई आरोप हैं. PFI की छवि एक कट्टरवादी मुस्लिम संगठन की है. इस पर कई बार देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप भी लगे हैं.