गौरतलब है कि 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे. पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जानकारी ली थी. जैश ने एक वीडियो जारी कर कहा था कि आतंकी आदिल अहमद डार ने इस हमले को अंजाम दिया था. उसके बाद पूरे देश में आक्रोश पैदा हो गया और सियासी बयानबाजी भी जारी हो गयी. बता दें कि हमले के बाद गृह मंत्रालय के आदेश पर सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हुर्रियत और अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक, अब्दुल गनी बट्ट, बिलाल लोन, फजल हक कुरैशी, शब्बीर शाह की सरकारी सुरक्षा वापस ले ली है. इसके अलावा इन्हें मिल रही सारी सरकारी सुविधाएं छीन ली गई है. मीरवाइज उमर फारूक ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का चेयरमैन है.
आज शाम तक हटेंगी सारी सुरक्षाएं
बता दें जम्मू-कश्मीर प्रशासन के इस आदेश में पाकिस्तान परस्त और अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का नाम नहीं है. प्रशासन के इस फैसले के बाद आज शाम तक पाकिस्तान और आतंक परस्त इन नेताओं को दी गई सारी सुरक्षा और सारी सरकारी सुविधाएं वापस ले ली जाएंगी. सरकार के इस निर्णय के बाद अब किसी भी अलगाववादी नेता को किसी भी वजह से सरकारी खर्चे पर किसी तरह की सुरक्षा या सुविधा मुहैया नहीं कराई जाएगी. रिपोर्ट के अनुसार हुर्रियत के इन अलगाववादी नेताओं को राज्य सरकार ने लगभग 10 साल पहले सुरक्षा मुहैया कराई थी, जब ये नेता घाटी में कथित तौर पर आतंकियों के निशाने पर आए थे.
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राज्य सरकार की तरफ से मिली गाड़ियां भी होंगी वापस
जम्मू-कश्मीर प्रशासन के इस आदेश के बाद इन्हें राज्य सरकार की ओर से मिली गाड़ियां, कारें वापस ले ली जाएंगी. सरकारी सूत्रों ने कहा कि पुलिस इस बात की समीक्षा करेगी कि क्या इन 5 अलगाववादी नेताओं के अलावा किसी दूसरे अलगाववादी नेता को सरकारी सुरक्षा मिली है, अगर समीक्षा में ऐसे किसी भी नेता का नाम आता है तो उसकी भी सुरक्षा और सरकारी सुविधा वापस ली जाएगी.
हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती है भारत सरकार
पुलवामा में 40 जवानों की शहादत के बाद पूरे देश में इन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस लेने की मांग उठी थी. भारत सरकार इन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती है. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 15 फरवरी को ही कहा था कि इन नेताओं की सुरक्षा वापस ली जाएगी. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में कुछ तत्वों का आईएसआई और आतंकी संगठनों से नाता है, इनकी सुरक्षा की समीक्षा होनी चाहिए. आज इस फैसले पर अमल करते हुए सरकार ने इनसे सभी सुरक्षा वापस ले ली है.
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