पीएम किसान योजना में रोड़े अटका रही गैर बीजेपी राज्य सरकारें, सहयोग से किया इंकार

जहां के ओर केंद्र सरकार अंतरिम बजट 2019-2020 में किसानों को 2,000-2000 देने के ऐलान के बाद इस योजना को जल्द से जल्द लागू करने के लिए राज्यों से किसानों के आकड़े मांग रही है, तो वहीं दूसरी ओर गैर बीजेपी राज्य सरकारें इस योजना को लागू करने में रोड़ा डाल रही है. पीएम किसान योजना दो हेक्टेयर तक जमीन वाले किसानों को 6000 रुपये सालाना दिए जाने हैं. इस योजना पर मध्य प्रदेश सरकार के एक मंत्री का कहना है कि, किसानों को ‘मामूली’ रकम देने वाली इस योजना को लागू करने में कम से कम तीन महीने लगेंगे. वहीं दूसरी ओर ओडिशा और केरल इस स्कीम का अध्ययन कर रहे हैं.


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बीजेपी की सबसे बड़ी विरोधी पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी वाली सरकार ने इस स्कीम पर कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं ले रही है. बंगाल सरकार के कृषि मंत्री प्रदीप मजूमदार का इस योजना के बारे में कहना है कि, अभी इस योजना के बारे में राज्य को केंद्र से कोई दिशानिर्देश नहीं मिला है और राज्य सरकार इसमें सहयोग भी नहीं करेगी क्योंकि किसानों के लिए उसके पास अपनी स्कीम है.


मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा, ‘गाइडलाइंस मिलने पर भी हम उनका पालन नहीं करेंगे. ममता बनर्जी ने कृषक बंधु योजना लागू की है, जिसमें किसानों को रबी और खरीफ सीजन की फसलों के लिए दो किस्तों में 5000 रुपये प्रति एकड़ सालाना दिए जाते हैं. बंटाई वाली खेती में साझेदारों के बीच यह रकम बांट दी जाती है. यह स्कीम 18 से 60 साल तक के किसान की स्वाभाविक या अस्वाभाविक वजहों से मृत्यु होने पर उसके परिवार को दो लाख रुपये सालाना की वन-टाइम ग्रांट भी देती है.’


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किसानों का अपमान है पीएम किसान योजना

मध्य प्रदेश सरकार के एक मंत्री ने कहा, कि पीएम-किसान योजना में औसतन 500 रुपये महीने की रकम बहुत कम है. उन्होंने कहा, ‘यह किसानों का अपमान है. मोदी ने काला धन विदेश से लाने और हर नागरिक के खाते में 15 लाख रुपये जमा कराने का वादा 2014 में किया था. हम किसानों के लिए इस 6000 रुपये की मदद पर कैसे भरोसा कर सकते हैं?’


चावल, दलहन, तिलहन और जूट के प्रमुख उत्पादक ओडिशा के कृषि सचिव सौरभ गर्ग ने कहा, ‘स्कीम की गाइडलाइंस हमें मिली हैं. उनका अध्ययन किया जा रहा है.’ केरल के कृषि उत्पादन आयुक्त देवेंद्र कुमार सिंह ने कहा, ‘लाभार्थियों का डेटाबेस बनाने के लिए हम और गाइडलाइंस का इंतजार कर रहे हैं.’ तमिलनाडु के सहायक निदेशक (कृषि) पी वेंकटचलापति ने कहा कि किसानों के नाम राजस्व और सर्वे जैसे अलग-अलग विभागों में हैं, लिहाजा उनका मिलान करना होगा.


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