सरकार ने एक ऐसी पहल शुरवात की है जिसके बाद बस चलाते वक्त अब लापरवाही नहीं चलने वाली. सरकार ने मानवीय चूक से होने वाली जनहानि से होने वाले नुक्सान को मद्देनजर रखते हुए एक ऐसे डिवाइस का ट्रायल शुरू किया है जो चालक को लापरवाही करने पर अलर्ट कर देगा. इस पहल में सरकार ने लखनऊ क्षेत्र में राजधानी से कटरा और गोरखपुर की दो बसों में एंटी कोलेजन डिवाइस (फ्रंट कोलेजन एवायडेंस सिस्टम) लगा ट्रायल शुरू शुरू किया है. इस ट्रायल में कुछ चौंकाने तथ्य सामने सामने आए हैं. 25 से 30 जनवरी के बीच चले ट्रायल में लगाई गई दो रोडवेज बसों के रिकॉर्ड खंगालने पर लापरवाही के कई मामले देखें गए है.
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स्लीप मोड में मिले चालक तो सेंसर ने किया अलर्ट
चालक की ओर से जब हलचल नहीं दिखी तो डैसबोर्ड पर लगे सेंसर ने अलर्ट किया और बस बस रुकने लगी. बस संख्या यूपी33 एटी- 2533 में चालक चार बार स्लीपिंग मोड में पाया गया, तो वहीं दूसरे बस संख्या यूपी 78एफएन 5076 में इवर को 10 बार झपकी लेते डिवाइस ने पकड़ा. अलर्ट मिलते ही चालक सचेत हुआ लेकिन तबतक सबकुछ रिकॉर्ड हो चुका था. यानी डैशबोर्ड पर लगे सेंसर ने चालक को 14 बार स्लीप मोड में पाया.
सटाकर ओवरटेक किया तो 505 बार रुकी बस
दोनों बसों के ओवरटेक करने का रिकॉर्ड खंगाला तो डिवाइस के टेलगेटिंग रिकॉर्ड में आने-जाने के दौरान वाहन से सटाकर बस निकालने के मामले में 505 बार अलर्ट आया, साथ ही बस का एक्सीलेटर फ्री होने लगा और गाड़ी रुकने लगे तो चालक सचेत हुआ.
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डिवाइस ऐसे करता है कार्य
डिवाइस में दो तरफ सेंसर लगे होते हैं. पहला सेंसर आगे जा रहे या सामने से आ रहे वाहन की गति नापता रहता है. जैसे ही गाड़ी की स्पीड दुर्घटना जोन के दायरे में आने वाली होती है सेंसर आगाह करना शुरू कर देता है. एक्सीलेटर फ्री हो जाता है और गाड़ी दुर्घटना जोन में पहुंचने से पहले ही रुक जाती है. इसी तरह दूसरा संसार ओवरटेक करने के वक़्त पर्याप्त दूरी ना दिखाने या फिर आगे वाहन की गैरमौजूदगी पर डिवाइस इसी तरह की बाधा पैदा करती है. इस ट्रायल पर क्षेत्रीय प्रबंधक पल्लव बोस ने कहा कि, दो बसों में एंटी कोलेजन डिवाइस लगा ट्रायल शुरू किया गया है. चालक सीख रहे हैं दुर्घटना रोकने में या डिवाइस मददगार हो सकती हैं.
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