लोकसभा चुनाव परिणाम बेहद चौंकाने वाले आये हैं, बीजेपी की प्रचंड जीत ने विपक्ष के सभी किले ध्वस्त कर दिए. मध्य प्रदेश में सबसे चौंकाने वाला रुझान गुना-शिवपुरी सीट पर देखने को मिल रहा है. सिंधिया घराने की परंपरागत सीट पर पहली बार ऐसा हो रहा है, जब राजपरिवार से जुड़ा कोई उम्मीदवार हारता दिख रहा है. कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने ही समर्थक भाजपा के डॉक्टर केपी यादव से एक लाख 23 हजार वोटों से पीछे चल रहे हैं.
ये नतीजे हर किसी के लिए चौंकाने वाले हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया 2002 से यहां से लगातार सांसद हैं. पिछले चार चुनावों में उन्हें कोई टक्कर भी नहीं दे पाया. ऐसे में इस बार उनके ऊपर हार के संकट को देखकर किसी को भरोसा नहीं हो रहा है. गुना सीट पर जिस बीजेपी उम्मीदवार से ज्योतिरादित्य पीछे चल रहे हैं, वह अब तक ज्योतिरादित्य के ही शागिर्द थे. केपी सिंह मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों तक कांग्रेस में ही थे. अशोकनगर की मुंगावली सीट से केपी ने विधानसभा में कांग्रेस से टिकट मांगा था, लेकिन मना करने पर उन्होंने BJP से चुनाव लड़ा था. लेकिन वह चुनाव हार गए थे.
ध्यान से देखें तो गुना सीट पर बीजेपी की ओर से केंद्र का कोई बड़ा चेहरा प्रचार के लिए नहीं पहुंचा. यहां तक कि शिवपुरी से विधायक यशोधरा राजे भी उनके प्रचार में नहीं पहुंचीं. ऐसे में केपी सिंह चुनावी मैदान में सिर्फ मोदी के करिश्मे के सहारे ही थे.
मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट पर तीन पीढ़ियों से सिंधिया घराने का कब्जा रहा है. ग्वालियर के बाद गुना ही वह लोकसभा सीट है, जहां से सिंधिया परिवार चुनाव लड़ना पसंद करता है. इस सीट से सांसद ज्योतिरादित्य की दादी विजयराजे सिंधिया और पिता माधवराव सिंधिया ने निर्दलीय चुनाव जीतकर इतिहास रचा था. पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में भी गुना सीट से ज्योतिरादित्य ने भाजपा नेता और प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया को एक लाख 20 हजार 792 वोटों से शिकस्त दी थी.
सिंधिया घराने के गढ़ में भाजपा ने कई बार सेंध लगाने की कोशिश की, लेकिन विजयाराजे सिंधिया के बाद से भाजपा को यहां पर कोई ऐसा उम्मीदवार नहीं मिला, जो माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया को हरा सके. सिंधिया परिवार की तीन पीढ़ियों को गुना लोकसभा सीट से 14 बार सांसद के तौर जनता ने चुनकर भेजा है. सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी विजयाराजे सिंधिया छह बार गुना से सांसद रहीं, तो उनके पिता माधवराव चार बार चुने गए थे. ज्योतिरादित्य भी चौथी बार गुना लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया.
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