मुकुल गोयल: मेरठ में तैनाती के दौरान बनाया था एनकाउंटर्स का रिकॉर्ड, मिल चुका है राष्ट्रपति पदक


यूपी पुलिस विभाग को उसका नया मुखिया मिल गया है। बुधवार को ही नए डीजीपी के तौर पर आईपीएस मुकुल गोयल के नाम का ऐलान किया गया है। जिसके बाद अब लोगों के मन में ये उत्सुकता है कि आखिर ऐसी कौन कौन सी वजहें हैं जिस वजह से उन्हें डीजीपी चुना गया। इन्हीं वजहों ने आईपीएस मुकुल गोयल का मेरठ के दौरान का समय भी शामिल है। मुकुल गोयल मेरठ में 5 मई 2002 से 24 सितंबर 2003 तक एसएसपी मेरठ रहे है। मेरठ में तैनाती के समय आईपीएस मुकुल ने कई एनकाउंटर किए और कई अपराधियों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया। आईपीएस ने ताबड़तोड़ 24 से ज्यादा एनकाउंटर का रिकार्ड भी बनाया था। आइए आपको भी बताते हैं कि किन किन अपराधियों को इस ने धूल चटाई।


राजस्थान के अपराधी को किया ढेर –
आईपीएस मुकुल गोयल की मेरठ में तैनाती के समय राजस्थान के भरतपुर का अपराधी पुष्पेंद्र जाट मेरठ में आया था। पुलिस के पास इनपुट था कि किसी बड़े व्यक्ति की हत्या की प्लानिंग की गई है। दिल्ली पुलिस ने कुछ जानकारी मेरठ के एसएसपी मुकुल गोयल से साझा की थी और एक टीम को मेरठ के लिए रवाना भी किया गया था। इसी इनपुट के बाद पुष्पेंद्र जाट को घेर लिया गया था और सदर चाट बाजार में एनकाउंटर किया गया था। एनकाउंटर में पुष्पेंद्र की मौत हो गई थी और उसके पास से पुलिस को एके-47 मिली थी। पुष्पेंद्र जाट दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और यूपी में 37 से ज्यादा संगीन मामलों में आरोपी और वांटेड था। उस समय पुष्पेंद्र जाट के सिर पर 50 हजार रुपये का ईनाम था। 


धर्मा गैंग के शूटर को किया था गिरफ्तार –
आईपीएस मुकुल गोयल के मेरठ एसएसपी रहने के दौरान दूसरा चर्चित मामला अपराधी विजय उर्फ बबलू की गिरफ्तारी का था। विजय धर्मा गैंग का शार्प शूटर था और उस पर दरोगा की हत्या का आरोप था। पुलिस विभाग की ओर से दो लाख रुपये का ईनाम घोषित किया गया था। आरोपी को मेरठ में आईपीएस मुकुल गोयल की टीम ने गिरफ्तार किया था। मेरठ में ही एक चर्चित एनकाउंटर में आईपीएस मुकुल गोयल ने दौराला के बदमाश चमन और सुभाष ताऊ को ढेर किया था। चमन और वतन दोनों भाई थे और शातिर बदमाश थे। लोगों से वसूली और रंगदारी मांगना इनका धंधा था। चमन और सुभाष को एनकाउंटर में पुलिस ने मार गिराया था। 


बावरियों का किया था एनकाउंटर-
मेरठ के टीपीनगर में बावरियों ने तीन लोगों की हत्या कर दी थी। इस मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी और एनकाउंटर की कार्रवाई मुकुल गोयल की टीम ने की थी। इसके बाद पूरे गिरोह की धरपकड़ की गई थी। इसके बाद उनके कार्यकाल में कोई वारदात बावरियों ने नहीं की। 


जब पथराव में हुए थे घायल –
लिसाड़ी गेट में अंसारी एवं कुरैशी बिरादरी के बीच जमकर बवाल हुआ था। इसमें कई स्थानों का पुलिस फोर्स और पीएसी को लेकर आईपीएस मुकुल गोयल उतर आए थे और मोर्चा लिया था। इस दौरान उन्हें पत्थर लगा था। घंटों तक बवाल हुआ, लेकिन मुकुल गोयल ने मोर्चा नहीं छोड़ा। उनके साथ उस समय के इंस्पेक्टर सदर बाजार सीपी सिंह और दरोगा राजेंद्र सिंह भी डटे रहे। लापरवाही को लेकर लिसाड़ी गेट थाना प्रभारी पर कार्रवाई की और चार्ज राजेंद्र सिंह को दे दिया था। इसी मामले में तत्कालीन डीआईजी ने एसएसपी के खिलाफ रिपोर्ट शासन को भेजी थी, जिसे लेकर पुलिस टीम एसएसपी के साथ आ गई.


मिल चुका है राष्ट्रपति पदक

यूपी के अपने कार्यकाल में आजमगढ़ के एसपी और वाराणसी,गोरखपुर, सहरानपुर, मेरठ जिलों के एसएसपी रह चुके हैं। मुकुल गोयल कानपुर, आगरा, बरेली रेंज के डीआईजी और बरेली जोन के आईजी भी रह चुके हैं। इसके अलावा मुकुल गोयल केंद्र में आईटीबीपी, बीएसएफ, एनडीआरएफ में भी काम कर चुके हैं। आईपीएस मुकुल गोयल को वीरता के लिए पुलिस पदक (2003), सराहनीय सेवाओं के लिए पुलिस पदक (2003) और विशिष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक (2012) से भी नवाजा जा चुका है।


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