क्या आपने पढ़ी IAS बी चंद्रकला की कविता, ‘जानेमन, तुम छिप-छिप कर आना’

अवैध खनन मामले में सीबीआई की छाफेमारी के बाद सुर्खियां बटोरने वाली आईएएस बी चंद्रकला ने एक बार फिर शायराना अंदाज में अपनी बात रखी है। आईएएस चंद्रकला ने अपने लिंकडिन प्रोफाइल पर स्वरचित एक कविता साझा करते हुए लिखा है कि ‘जानेमन, तुम छिप-छिप कर आना।’ इस कविता के अंत में उन्होंने यह भी लिखा है कि छापा जांच की प्रक्रिया का एक हिस्सा मात्र है।


सोशल मीडिया पर वायरल हो रही कविता

बता दें कि आईएस बी चंद्रकला शुरुआत से ही सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रही हैं और उनका ये पोस्‍ट भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। जानकारी के मुताबिक, 27 सिंतबर 1979 को मौजूदा तेलंगाना के करीमनगर में जन्‍मी चंद्रकला की शुरुआती पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय में हुई है। चंद्रकला अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखती हैं और उनकी मातृभाषा लंबाड़ी है जो कि बंजारा हिल के ज्यादातर हिस्से में बोली जाती है।


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मिली जानकारी के मुताबिक, स्‍कूलिंग के बाद चंद्रकला ने हैदराबाद के कोटी वूमेंस कॉलेज और उस्‍मानिया यूनिवर्सिटी से बाकी की पढ़ाई की है। उन्‍होंने उस्‍मानिया यूनिवर्सिटी से भूगोल में स्नातक और इसी यूनिवर्सिटी से पत्राचार में अर्थशास्‍त्र से एमए किया है। जब वह ग्रेजुवेशन के दूसरे वर्ष में थीं तभी उनकी शादी हो गई थी। इसके बाद उन्‍होंने पत्राचार का सहारा लेकर अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाया था।


आईएएस बी चंद्रकला की द्वारा लिखी कविता

प्रिय दोस्‍तों,

आइए, परमात्‍मा के दिये इस नये सवेरे में हम अपनी तरफ से प्रेम की सुगंध फैलाएं।।

नफरत और घृणा से जीवन, दूषित होता है।।

इन सुंदर पंक्तियों के साथ शुभारम्‍भ करते हैं…

आ सोलह श्रृंगार करूं, मैं,

आ मैं तुमको, प्‍यार करूं, मैं।।

घर से निकल कर, सीधी सड़क पर,

चौवाड़े से दायीं, मुड़ जाना,

वह जो गंगा तट है, देखो,

ऊपर एक मंदिर है, पुराना।।

उसके पीछे पीपल का वृक्ष,

जाने मन तुम, वहीं आ जाना,

आन तुम छिप-छिप कर आना,

आना, नजरें चार करेंगे,

मधुवन का श्रृंगार बनेंगे।।

हेट की रात है, बड़ी ही सुहानी,

माहताब है, देख दिवानी,

रातरानी, चंपा, चमेली,

फूल, तुम लाना संग में सहेगी।।

रजनीगन्‍धा को भी ले आना,

दोस्‍त है ये अपना, बड़ा

दोस्‍त है ये अपना, बड़ा ही पुराना,

आना, जरा जल्‍दी आ जाना।।

चंदा की बे-सब्री देखो,

उग आयी है, रात की रानी,

नदियों की धारा तुम, देखो,

देखो इसका, कल-कल पानी।।

कोयल की स्‍वर, देखो, हे प्रिये!

उर्वशी भी है, तेरी दिवानी,

कुमकुम के रंगों से सज गयी,

गौधूली की प्रीत पुनानी।।

देखो, जब मंदिर में बजेगी,

संध्‍या-भजन की घंटी, तब तुम,

बीत जाए जब, एक पहर और,

घर से निकल ही आना प्रिय तुम।।

मैं बैठा इंतजार करूंगा,

पीपल के नीचे, चांदनी राम में,

मैं बन दर्पण, श्रृंगार करूंगा,

आना तुमको मैं प्‍यार करूंगा।।

छापा, जांच की प्रक्रिया का एक हिस्‍सा मात्र है ।।

आपकी चंद्रकला ।।


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