कानपुर: SIT की जांच में दोषी पाए गए IAS मो. इफ्तिखारुद्दीन, शासन को सौंपी गई 550 पेज की रिपोर्ट

विवादित वीडियो मामले में कानपुर के पूर्व मंडलायुक्त और उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम के अध्यक्ष आईएएस मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन (IAS Mohammad Iftikharuddin) की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। एसआईटी की जांच में आईएएस मो. इफ्तिखारुद्दीन प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए हैं। एसआईटी ने तमाम सबूतों के साथ मंगलवार को जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। 550 पेज की जांच रिपोर्ट में साहित्य व वीडियो के आपत्तिजनक कंटेंट को सबूत के तौर पर शामिल किया गया है।

एसआईटी ने जांचे 70 वीडियो और 3 किताबें

इस मामले में अब शासन आगे की कार्रवाई तय करेगा। फिलहाल, आईएएस मो. इफ्तिखारुद्दीन पर विभागीय कार्रवाई होना लगभग तय है। बीते 26 सितंबर को आईएएस मो. इफ्तिखारुद्दीन के तीन वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। इसमें इफ्तिखारुद्दीन तकरीरें करते दिखाई व सुनाई दे रहे थे। एक अन्य शख्स धर्मांतरण संबंधी बातें बता रहा था।

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सोशल मीडिया पर तकरीरें करते इफ्तिखारुद्दीन के वीडियो वायरल होने के मामले ने तूल पकड़ा तो 28 सितंबर को शासन ने सीबीसीआईडी के डीजी जीएल मीणा और एडीजी जोन कानपुर भानु भास्कर के नेतृत्व में जांच के लिए एसआईटी गठित की। मामले की जांच में स्पष्ट हुआ कि वीडियो कानपुर स्थित मंडलायुक्त आवास के हैं।

मिली जानकारी के अनुसार, करीब 20 दिन तक चली जांच में करीब 70 वीडियोज की जांच की गई। मो. इफ्तिखारुद्दीन की 3 किताबों शुद्ध धर्म, शुद्ध भक्ति, उपासना और नमन की एक-एक लाइन का अर्थ समझा गया। तमाम धर्मांतरण व धार्मिक कट्टरता संबंधी बातें मिली हैं। इसी आधार पर एसआईटी ने जांच कर इफ्तिखारुद्दीन को दोषी ठहराया है। एसआईटी ने आईएएस इफ्तिखारुद्दीन के बयानों को भी जांच में शामिल किया है। दो दिन में तकरीबन 16 घंटे उनसे पूछताछ की गई थी।

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