मोदी के तेवर से दहशत में आया बहुचर्चित जूलरी केस का गुनाहगार, गुहार लगाते हुए की भारत लौटने की पेशकश

बेंगलुरु के चर्चित I Monetary Advisory (IMA) ज्वेल्स केस में आईएमए प्रमुख मंसूर खान (Mansoor Khan) का एक वीडियो क्लिप सामने आया है. जिसमें वो कथित तौर पर आत्मसमर्पण करने की पेशकश कर रहा है. मंसूर खान का कहना है कि उन्हें डर है कि उन्हें मार दिया जाएगा. वहीं वीडियो जारी कर उन्‍होंने कहा कि वह निवेशकों को पैसा लौटाना चाहते हैं.


वीडियो में मंसूर खान ने कहा कि वह भारत आकर उन राजनेताओं के नाम का खुलासा करना चाहते हैं, जिन्होंने उगाही की. उन्हीं की वजह से बिजनेस डूब गया. मंसूर खान के इस वीडियो को आईएमए ग्रुप के यूट्यूब चैनल पर पोस्‍ट किया गया है.


अभी हाल ही में मंसूर खान की तीन पत्नियों के घरों पर केंद्रीय अपराध शाखा (CCB) ने छापा मारकर कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, जूलरी और कैश जब्त की है. सीसीबी ने मंसूर खान की पहली पत्नी के शिवाजी नगर स्थित आवास पर छापा मारा, जबकि उनकी दूसरी और तीसरी पत्नी के तिलक नगर स्थित आवास पर छापेमारी हुई.


अभी तक की जानकारी के मुताबिक, सीसीबी के अधिकारियों ने इस दौरान मंसूर की पत्नियों के घर से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज के साथ ही 1.5 किलोग्राम सोना और 2.7 लाख का कैश जब्त किया है.


दरअसल, मंसूर खान पर करोड़ों रुपयों की धोखाधड़ी का आरोप है. निवेशकों को भारी रिटर्न का लालच देकर करोड़ों रुपये जुटाने के बाद फरार मंसूर खान का पासपोर्ट भी रद्द कर दिया गया है. कर्नाटक में इस केस को कर्नाटक पोंजी स्कैम के नाम से जाना जाता है. इस स्कैम में कथित रूप से कांग्रेस के कुछ नेता भी शामिल हैं.


बता दें कि आईएमए ने अपनी स्कीम में 14 से 18 फीसदी के भारी रिटर्न का वादा किया था, जिसके लालच में हजारों निवेशक फंस गए और करीब  25 हजार लोगों ने धोखाधड़ी की शिकायत की. हाल ही में पुलिस ने आईएमए जयनगर के दफ्तर में और मंसूर खान की तीसरी पत्नी के घर में छापा मारा था. जिसमें करोड़ों रुपये की ज्वैलरी और दस्तावेज जब्त किए थे.



आईएमए में पांच लाख रुपये लगा चुके नाविद ने बताया कि उसने मुसलमानों को धार्मिक भावनाओं के जरिए फंसाने का हथकंडा अपनाया. हालांकि उसके इस फ्रॉड का अंदाजा साल 2017 से ही निवेशकों को होने लगा था, जब लोगों का रिटर्न गिरकर पहले 9 से 5 फीसदी तक आया और फिर 2018 आते-आते सिर्फ 3 फीसदी रह गया. इस साल फरवरी में रिटर्न घटकर मात्र 1 फीसदी रह गया. लेकिन तगड़ा झटका तो निवेशकों को मई में लगा जब एक फीसदी रिटर्न भी खत्म हो गया. इसके बाद लोगों का सब्र का बांध टूट गया और अपनी पूंजी वापस लेने की मांग की.


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