Indian Air Force Day: भारतीय वायु सेना को मिला अपना नया ध्वज, PM मोदी ने दी बधाई

आज वायुसेना का स्थापना दिवस (Indian Air Force Day) मनाया जा रहा है। वायुसेना की 91वीं वर्षगांठ पर रविवार को एक और नया अध्याय जुड़ गया है। नौसेना के बाद अब वायुसेना को भी नया ध्वज मिल गया है। यह बदलाव 72 वर्ष बाद किया गया है। भारतीय वायु सेना (IAF) के प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने प्रयागराज में बमरौली वायु सेना स्टेशन पर वायु सेना दिवस समारोह के दौरान नए भारतीय वायु सेना के ध्वज का अनावरण किया।

पीएम मोदी ने दी बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वायु सेना दिवस के अवसर पर बधाई दी। पीएम ने कहा कि वायु सैनिकों की महान सेवा और त्याग हमारे आकाश की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि भारत को भारतीय वायुसेना की वीरता, प्रतिबद्धता और समर्पण पर गर्व है।

वायु सेना दिवस भारतीय वायु सेना को देश के सशस्त्र बलों में आधिकारिक रूप से शामिल करने का प्रतीक है, जिसकी स्थापना 8 अक्टूबर 1932 को हुई थी। हर साल यह दिन भारतीय वायु सेना प्रमुख और वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में मनाया जाता है। वायु सेना को आधिकारिक तौर पर 1932 में यूनाइटेड किंगडम की रॉयल एयर फ़ोर्स की सहायक सेना के रूप में स्थापित किया गया था और पहला ऑपरेशनल स्क्वाड्रन 1933 में बनाया गया था।

1951 में बनाया गया था वायु सेना का ध्वज

पुराने झंडे को उतारने के बाद मध्य वायु कमान के संग्रहालय में उसे सुरक्षित रखा जाएगा। इससे पहले भारतीय नौसेना के झंडे में भी बदलाव किया जा चुका है। स्वतंत्रता के बाद 1951 में वायु सेना का ध्वज बनाया गया था। वर्तमान ध्वज नीले रंग का है। इसमें ऊपर बाएं कोने पर तिरंगा है, जबकि दाएं कोने पर नीचे वायु सेना का गोल निशान है।

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ध्वज में हुए हैं ये बड़े बदलाव

आईएएफ क्रेस्ट के शीर्ष पर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक सिंह और उसके नीचे देवनागरी में ‘सत्यमेव जयते’ शब्द हैं। अशोक सिंह के नीचे एक हिमालयी ईगल है जिसके पंख फैले हुए हैं, जो भारतीय वायुसेना के युद्ध के गुणों को दर्शाता है। हल्के नीले रंग का एक वलय हिमालयी ईगल को घेरे हुए है, जिस पर लिखा है ‘भारतीय वायु सेना’।

भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य ‘नभः स्पृशं दीप्तम्’ हिमालयी ईगल के नीचे देवनागरी के सुनहरे अक्षरों में अंकित है। आईएएफ का आदर्श वाक्य भगवद गीता के अध्याय 11 के श्लोक 24 से लिया गया है और इसका अर्थ है ‘वैभव के साथ आकाश को छूना’।

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