भारत से युद्ध का जोखिम नहीं उठा सकता चीन, य़े हैं ड्रैगन की 5 कमजोरियां

लद्दाख (Ladakh) की गलवान घाटी (Galwan Valley) में भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प (India-China Rift) के बाद अब दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट गयी हैं. उधर चीन ने कहा है कि वह भारत के साथ विवाद या हिंसक झड़प जैसी स्थिति नहीं चाहता है. सुपरपावर बनने का ख्वाब देने वाला चीन (China) दरअसल एक कमजोर देश है. चीन की अर्थव्यवस्था लचर है. कोरोना (Coronavirus) संकट के बाद वो दुनिया में अलग-थलग पड़ चुका है. हम आपको आर्थिक से सामरिक मोर्चे तक चीन की पांच ऐसी कमजोरियां बताते हैं, जिनकी वजह से वो युद्ध का खतरा नहीं उठा सकता है.


अनफिट सेना

चीन की सेना दिखती ताकतवर है लेकिन अंदर से वो कमजोर है. भले ही चीन अपनी सैन्य तैयारियों का वीडियो दिखाए. अपनी शक्ति का प्रोपेगेंडा करे लेकिन सच्चाई ये है कि अगर जंग की नौबत आ गई तो चीन की सेना भारत के सामने टिक नहीं पाएगी. ये बात खुद चीन के रक्षा विशेषज्ञ भी मानते हैं. भारत और चीन के बीच एलएसी यानी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल का ज्यादातर हिस्सा पहाड़ी इलाका है और इस क्षेत्र में युद्ध के लिए भारत की सेना चीन के मुकाबले ज्यादा अनुभवी और ताकतवर है. 


वैसे तो चीन की सेना सैनिकों की संख्या के लिहाज से दुनिया की सबसे बड़ी फौज मानी जाती है. चीन की पीएलए यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में करीब 20 लाख सैनिक हैं. लेकिन चीनी सेना से जुड़ी एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि उसके 20% सैनिक युद्ध के लिए अनफिट हैं. 


आर्थिक रूप से खस्ताहाल है चीन

चीन की अर्थव्यवस्था डांवाडोल है. बेरोजगारी बढ़ती जा रही है. कोरोना काल में चीन पर से दुनिया भरोसा उठने लगा है. एक वक्त था जब चीन निर्माण क्षेत्र का सबसे अहम देश हुआ करता था लेकिन अब विकसित और विकासशील दोनों तरह के देश चीन से अपने प्लांट शिफ्ट करने की तैयारी कर रहे हैं. वहीं भारत को दुनिया एक नए अवसर की तरह देख रही है और कई विदेशी कपंनियां भारत में निवेश करने की तैयारी कर चुकी हैं. चीन कहीं ना कहीं भारत की मजबूत हो रही अर्थव्यवस्था से भी बौखलाया हुआ है. चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर चल रहा है और कोरोना से आई विश्वव्यापी मंदी के दौर में चीन के लिए इससे निपटना आसान नहीं है.


कोरोना की मार

कोरोना वायरस की वजह से चीन दुनिया में हर तरफ से घिर चुका है. हर देश चीन पर उंगलियां उठा रहा है और चीन के खिलाफ जांच की मांग लगातार तेज होती जा रही है. कोरोना का सबसे घातक असर अमेरिका और यूरोप में देखने को मिला. जहां हजारों लोगों की मौत हो गई और ये सिलसिला जारी है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप कोरोना को चीन का वायरस बता चुके हैं. अमेरिका से यूरोप तक चीन को अलग-थलग करने की मांग उठ रही है. चीन दुनिया में अलग-थलग पड़ चुका है. आने वाले दिनों में चीन की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं.


सुपरपावर अमेरिका से खराब संबंध

चीन और अमेरिका के संबंध कभी अच्छे नहीं रहे. इसकी सबसे बड़ी वजह यह भी है कि चीन अमेरिका को पछाड़कर सुपरपावर बनने के सपने देखता है. दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर का लंबा इतिहास रहा है. कोरोना काल में अमेरिका और चीन के रिश्तों में और भी ज्यादा तल्खी आई है.


सामरिक मोर्चे पर भी घिरा चीन 

हिंद महासागर से लेकर साउथ चाइना सी तक चीन हर मोर्चे पर घिरता जा रहा है. साउथ चाइना सी में चीन के आक्रामक तेवर को देखते हुए अमेरिका और चीन के बीच तनातनी के हालात बने रहते हैं. इन कमजोरियों के साथ चीन भारत को चुनौती देने की हिम्मत नहीं कर सकता है. 



उधर इस विवाद पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अमेरिका पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद स्थिति पर करीब से नजर रख रहा है और वह उम्मीद करता है कि विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से हल कर लिया जाएगा. विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच हालात पर हम करीब से नजर रख रहे हैं. भारतीय सेना ने घोषणा की है कि उसके 20 सैनिक मारे गए हैं. हम उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं.’ प्रवक्ता ने कहा कि भारत और चीन दोनों ही देशों ने तनाव कम करने की इच्छा जताई है और अमेरिका वर्तमान हालात के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करता है.


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