कानपुर बवाल (Kanpur Violence) का दंश झेलने वाले नई सड़क स्थित चंद्रेश्वर हाता (Chandreshwar Hata) के लोग खौफ में नहीं, बल्कि आखिरी दम तक लड़ने को तैयार हैं. उनका साफ कहना है कि यहां से कहीं जाएंगे नहीं. यहीं जिएंगे और यहीं पर मरेंगे. किसी में दम नहीं जो हमारी जमीन हमसे छीन ले. यहां रहने वाले पुरुषों के अलावा महिलाओं ने भी कमर कस ली है.
बता दें कि इससे पहले यहां से पलायन की खबरें सामने आईं थीं. मीडिया रिपोर्ट में तीन परिवारों के घर छोड़ने की बात कही गई थी लेकिन अब चंद्रेश्वर हाता में रहने वाले लोगों ने एक पोस्टर लगाया है. इस पोस्टर पर नरसिंह भगवान की तस्वीर लगी है और लिखा है- पलायन नहीं, पराक्रम करेंगे. चंद्रेश्वर हाता वही इलाका है, जहां पर पिछले शुक्रवार को पत्थरबाजी की शुरुआत हुई थी.
वहीं, चन्द्रेश्वर हाता की रहने वाली एक महिला ने कहा कि यह जमीन हमारी है और यहां से पलायन करने का सवाल ही नहीं उठता. हम यहीं रहेंगे. हम किसी से डरने वाले नहीं हैं. जानकारी के मुताबिक, कानपुर की नई सड़क और यतीमखाना क्षेत्र में आज से 20-30 साल पहले कई हिंदू बस्तियां (हाता) थीं, जो कि बिगड़ते माहौल की वजह से धीरे-धीरे खाली हो गई हैं.
स्थानीय लोगों का आरोप है कि चंद्रेश्वर हाता में रहने वाले परिवारों को हटाकर अरबों रुपये की जमीन पर दूसरे संप्रदाय के भू माफिया कब्जा करना चाहते हैं. शुक्रवार को हुई हिंसा के दौरान भी चंद्रेश्वर हाता से ही पत्थरबाजी की शुरूआत हुई थी. पत्थरबाजी के बाद हाता इलाके में रहने वाले लोगों ने दूसरे संप्रदाय के लोगों पर साजिश का आरोप लगाया था.
कानपुर के जिस इलाके में 3 जून को पत्थर बरसाए गए थे, जिस चंद्रेश्वर हाता पर लोगों को टारगेट किया गया था, अब वहां हालात बदल रहा है. उसी बदलती तस्वीर की गवाही दे रहा है ये पोस्टर, जिस पर लिखा है- अब पलायन नहीं, पराक्रम करेंगे. हिंसा के जरिए जो खौफ चंद्रेश्वर हाता के लोगों को दिखाया गया था, उससे बेखौफ होने लगा है चंद्रेश्वर हाता.
नई सड़क इलाके में हिंसा का मुख्य टारगेट था चंद्रेश्वर हाता इलाका. यहीं पहले पत्थरबाजी शुरू हुई थी. पथराव और तनाव के बाद यहां रहने वाले परिवारों ने आरोप लगाया था कि इनकी अरबों की जमीन हड़पने के लिए ही दूसरे समुदाय के भू माफियाओं ने 3 जून को उपद्रव करवाया. इस चंद्रेश्वर हाता पर आसपास की ऊंची इमारतों से खूब पत्थरबाजी हुई थी.
हाते के लोगों ने उपद्रवियों से जमकर लिया था लोहा
शुक्रवार (3 जून) को जुमे की नमाज के बाद उपद्रवियों ने परेड रोड पर जमकर पत्थर और बमबारी की थी, लेकिन चन्द्रेश्वर हाता में रहने वालों लोगों ने मोर्चा लेते हुए उन्हें रोक दिया था. जानकारी के मुताबिक, इस दौरान कुछ उपद्रवियों ने चन्द्रेश्वर हाता के लोगों को खुली धमकी दी कि हाता छोड़कर चले जाओ, वरना कोई नहीं बचेगा. इसके बाद बुधवार सुबह मीडिया खबर चलने लगी की कुछ लोग हिंसा के अगले दिन पलायन कर गए हैं.
जानें चंद्रेश्वर हाता का इतिहास
- 250 वर्षों से अधिक समय से मौजूद है चंद्रेश्वर हाता.
- चंद्रेश्वर मिश्र की जमीन पर बना है हाता, इसलिए इसका नाम चंद्रेश्वर हाता है.
- 200 मीटर क्षेत्र में ही हिंदू बाहुल्य हाता सिमट कर रह गया है.
- यहां करीब 150 मकानों में 1 हजार लोग निवास करते हैं.
- हाते में हिंदू सिर्फ हिंदू परिवार को ही मकान बेच सकता है.
- 31 साल से दंगों का कर रहे सामना.
- 1991 में कानपुर में पहली बार हिंदू-मुस्लिम दंगे हुए थे.
- 2001 के दंगों में पेट्रोल बम तक हाते में फेंके गए.
- 1991 से पहले शिया और सुन्नी ही आपस में लड़ते थे.
- 31 सालों से चंद्रेश्वर हाता दंगों में मुस्लिमों का कर रहा सामना.
- 1984 के दंगे में हाते के ऊपर पेट्रोल बम तक फेंके गए.
- अब सिर्फ एक हाता बचा, पहले थे 12 हिंदू हाते.
- कन्हैया बाबू का हाता, मुरारी लाल का हाता, कल्लूमल स्ट्रीट, विसू बाबू का हाता समेत कायस्थियाना रोड हिंदू बाहुल्य क्षेत्र था.
- मुन्ना लाल स्ट्रीट अब कादरी हाउस के नाम से जाना जाता है.
- वर्ष 2010 में बसपा नेता वासिक अहमद ने हाते को कई बार खरीदने का प्रयास किया.
- हाते के आसपास अब मुस्लिम बाहुल्य और हिंदू अल्पसंख्यक हो गए हैं.
- 40 साल पहले तक यहां हिंदू बाहुल्य क्षेत्र हुआ करता था.
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