लखनऊ: अखिलेश यादव तीसरी बार चुने गए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, बोले- इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए दिन-रात करूंगा काम

अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को गुरुवार को लगातार तीसरी बार समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष (President of Samajwadi Party) चुन लिया गया। चुनाव अधिकारी और पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में उन्हें निर्विरोध पार्टी अध्यक्ष चुने जाने का ऐलान किया।

इस दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि यह केवल एक पद नहीं है, बल्कि मुझे बहुत बड़ी जिम्मेदारी आप लोगों ने दी है। यह जिम्मेदारी ऐसे समय में दी गई है, जब संविधान को खतरा पैदा कर दिया गया है। जो जिम्मेदारी आपने मुझे दी है, मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि उसपर खरा उतरूंगा। इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए अगर दिन-रात काम करना पड़ेगा, तो मैं दिन-रात काम करुंगा। हम समाजवादियों को अगले 5 साल में नया इतिहास बनाने का काम करना होगा।

राष्‍ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश यादव को ही लगातार तीसरी बार पार्टी अध्‍यक्ष चुने जाने की प्रबल सम्‍भावना थी। पार्टी में तत्‍कालीन कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव से गतिरोध के कारण पार्टी के झंडे और चुनाव निशान को लेकर अदालती लड़ाई जीतने के बाद अखिलेश यादव को एक जनवरी 2017 को आपात राष्‍ट्रीय अधिवेशन बुलाकर पहली बार पार्टी संस्‍थापक मुलायम सिंह यादव के स्‍थान पर दल का राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बनाया गया था।

इसके बाद अक्‍टूबर 2017 में आगरा में हुए विधिवत राष्‍ट्रीय अधिवेशन में उन्‍हें एक बार फिर सर्वसम्‍मति से पार्टी का अध्‍यक्ष चुना गया था। उस वक्‍त पार्टी के संविधान में बदलाव कर अध्‍यक्ष के कार्यकाल को तीन साल से बढ़ाकर पांच वर्ष कर दिया गया था।

अक्‍टूबर 1992 में गठित सपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष पद पर अब तक यादव परिवार का ही कब्‍जा रहा है। अखिलेश से पहले मुलायम सिंह यादव ही पार्टी के अध्‍यक्ष रहे। सपा का यह राष्‍ट्रीय अधिवेशन वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव और 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी की लगातार चुनावी शिकस्‍तों के बाद आयोजित हो रहा है।

Also Read: UP: समाजवादी पार्टी के दोबारा प्रदेश अध्यक्ष बने नरेश उत्तम पटेल, अखिलेश यादव का करीबी होने का मिला लाभ

प्रदेश के हर चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जोरदार तैयारियों को देखते हुए अखिलेश के सामने अब चुनौतियां पहले से भी अधिक होंगी। उनके सामने आगामी नवम्‍बर-दिसम्‍बर में सम्‍भावित नगर निकाय के चुनाव और फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने की चुनौती है। ऐसे में पार्टी नेतृत्‍व को पिछली गलतियों से सीख लेते हुए संगठन को नए सिरे से सक्रिय करते हुए उसमें नयी ऊर्जा भरनी होगी।

( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )