लखनऊ: पुलिस कस्टडी में व्यापारी की मौत पर हंगामा, मंत्री आवास के सामने प्रदर्शन, हिरासत में सपा नेत्री, BJP विधायक ने मानी पुलिस की गलती

पुलिस कस्टडी में एक व्यापारी की संदिग्ध मौत के बाद लखनऊ (Lucknow) में माहौल तनावपूर्ण हो गया। मृतक व्यापारी मोहित पांडेय के परिजन रविवार को मंत्री आवास के सामने धरने पर बैठ गए। मृतक की पत्नी और मां के साथ इलाके के लोग बड़ी संख्या में सड़क पर एकत्रित हुए और शव को रखकर न्याय की मांग करने लगे। स्थिति को संभालने के लिए पुलिस ने पहले समझाने का प्रयास किया, लेकिन जब विरोध तेज हुआ तो पुलिस ने शव को उठाकर घर पहुंचा दिया।

सपा नेत्री को पुलिस ने हिरासत में लिया

इस घटना में बीजेपी और सपा दोनों दलों के नेता पीड़ित परिवार के समर्थन में सामने आए। बीकेटी विधायक योगेश शुक्ला ने पुलिस की गलती स्वीकार की और कार्रवाई का आश्वासन दिया। विधायक ने परिजनों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलवाने का भरोसा भी दिलाया। वहीं, उत्तरी विधानसभा से सपा प्रत्याशी रहीं पूजा शुक्ला ने जब विरोध जताया तो पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।

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विधायक ने पुलिस की गलती मानी, कार्रवाई का भरोसा

मौके पर पहुंचे बीकेटी विधायक योगेश शुक्ला से मृतक के परिजनों ने कहा कि पुलिस ने पहले उनके बेटे को प्रताड़ित कर मार डाला और अब उनकी आवाज दबाने की कोशिश कर रही है। इस पर विधायक ने कहा कि अगर पुलिस ने गलती नहीं की होती तो उन पर केस क्यों दर्ज होता। उन्होंने दोषियों पर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया और परिजनों को मुख्यमंत्री से मिलवाने का प्रयास करने की बात कही।

लॉकअप का CCTV फुटेज आया सामने, पर सवाल बरकरार

रविवार सुबह लॉकअप का CCTV फुटेज सामने आने के बाद परिजनों ने कई सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि 17 घंटे की पूरी घटना में सिर्फ 5 मिनट का ही फुटेज क्यों जारी किया गया। परिवार का सवाल था कि मोहित की तबीयत बिगड़ने और उसे अस्पताल ले जाने से पहले का फुटेज क्यों नहीं दिखाया गया।

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स्थानीय सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार रात को मोहित और उसके भाई को बिना किसी मुकदमा दर्ज किए लॉकअप में रखा गया था और दोनों के साथ मारपीट की गई थी। शनिवार को मोहित की मौत के बाद 151 की चालानी कार्रवाई पूरी की गई, और भाई को लोहिया अस्पताल भेजा गया। देर रात इंस्पेक्टर समेत पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।

इस घटना ने पुलिस पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की मांग के साथ ही पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने लगे हैं।

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