महाकुंभ 2025: जहां आस्था ने उम्मीद बचाई, प्रशासन ने उम्मीद तोड़ी!

प्रयागराज के पावन संगम तट पर आस्था का महासंगम लगा हुआ है। दूर-दराज़ से श्रद्धालु इस ऐतिहासिक महाकुंभ (Mahakumbh 2025) में डुबकी लगाने पहुंचे हैं, लेकिन भव्यता और भक्ति के इस महोत्सव के बीच ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। सरकार के बड़े-बड़े इंतजामों के दावों के बावजूद, श्रद्धालुओं को सुविधाओं की कमी से जूझना पड़ रहा है। पत्रकार अवनीश विद्यार्थी (Journalist Awanish Vidyarthi) ने ‘कनेक्शन ऑफ महाकुंभ’ की अपनी यात्रा के दौरान इस पवित्र स्थल की स्थिति को करीब से देखा और पाया कि आयोजन तो भव्य है, लेकिन आम आदमी के लिए सुविधाओं में अभाव है।

खुले आसमान के नीचे रात गुजारते श्रद्धालु

मेला प्रशासन का भवन जहां पूरी रोशनी से दमक रहा है, वहीं उसके ठीक सामने हज़ारों श्रद्धालु खुले आसमान के नीचे ठंड में ठिठुरते नज़र आए। मासूम बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग और युवा सभी के चेहरे पर थकान के बावजूद आस्था की चमक थी। कुछ ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उनके पास ठहरने का कोई ठिकाना नहीं था, लेकिन संगम में स्नान की ललक उन्हें किसी भी परिस्थिति में रोक नहीं सकी।

बिहार के गोपालगंज से आए श्रद्धालुओं के एक समूह से जब हमने बात की, तो उन्होंने बताया, “सरकार ने इंतजाम तो किए हैं, लेकिन आम आदमी तक सुविधा पहुंच नहीं पाई। ट्रेन में भयंकर भीड़ थी, लेकिन किसी भी हालत में 144 साल बाद के इस महाकुंभ में आना जरूरी था। जैसे-तैसे करके आ गए।

पैदल यात्रा बनी मजबूरी, ट्रैफिक जाम की समस्या

मेला क्षेत्र में शटल बसों के इंतजाम की बात कही गई थी, लेकिन श्रद्धालुओं का कहना है कि ज़मीनी स्तर पर ये सेवाएं नदारद थीं। नैनी से पैदल आए एक श्रद्धालु समूह ने बताया कि आठ किलोमीटर चलने के बाद वे विश्राम के लिए बैठे हैं, और फिर संगम स्नान के लिए आगे बढ़ेंगे। कई लोगों ने स्वीकार किया कि भीड़ और थकान के बावजूद वे संगम स्नान को लेकर बेहद उत्साहित हैं। जैसे-जैसे लाखों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच रहे हैं, भारी यातायात जाम के कारण शहर की ओर जाने वाले सभी मार्ग बाधित हो गए हैं। जैसा कि ब्रेकिंग ट्यूब ने आपको पहले ही दिखाया था।

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बड़े बजट के बावजूद अधूरी व्यवस्थाएं

महाकुंभ के लिए सरकार ने हज़ारों करोड़ों रुपये खर्च किए हैं, लेकिन ज़मीनी हालात कुछ और ही दर्शा रहे हैं। वीवीआईपी ज़ोन में शानदार इंतजाम किए गए हैं, लेकिन आम श्रद्धालुओं को बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। ट्रेनों के लिए जद्दोजहद की तस्वीरें और वीडियो सामने आए, तो सड़कों पर गाड़ियों की लंबी-लंबी कतारें भी देखने को मिली। अवनीश विद्यार्थी के अनुसार, वे खुद कई घंटों तक प्रयागराज कुंभ मेला क्षेत्र में जाम से जूझते रहे। प्रशासन की तमाम तरह की व्यवस्थाओं के बावजूद जाम की समस्या लगातार बनी हुई है। बीते दिनों इसकी वजह से मुख्यमंत्री ने दो बड़े अधिकारियों को जमकर फटकारा भी।

अब तक 52.96 करोड़ ने लगाई संगम में डुबकी

रविवार को 1.49 करोड़ श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। अब तक 52.96 करोड़ श्रद्धालु पावन संगम में डुबकी लगा चुके हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि महाशिवरात्रि तक लगभग 60 करोड़ श्रद्धालु महाकुंभ के साक्षी बनेंगे। अभी हाल ही में युवा उद्यमियों से संवाद के दौरान महाकुंभ का विरोध करने वालों को बताया कि इससे हमारी आय में इजाफा हुआ है। उन्होंने महाकुंभ के आयोजन पर 1500 करोड़ रुपए खर्च और इससे 3-3.5 लाख करोड़ रुपए का लाभ का जिक्र किया।

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आमजन की सुविधाओं पर भी ध्यान दे सरकार

अवनीश विद्यार्थी कहते हैं कि इस ऐतिहासिक आयोजन में देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु आते हैं। ऐसे में सरकार को केवल भव्यता नहीं, बल्कि आम जनता की सुविधाओं पर भी ध्यान देने की जरूरत है। कुंभ मेले का असली सार तभी सिद्ध होगा, जब हर श्रद्धालु को बिना किसी कठिनाई के अपनी आस्था को जीने का अवसर मिले।

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