Mahakumbh and ‘Yogi 2.0 महाकुंभ का आयोजन सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं था, बल्कि इसने देश की राजनीति में भी नई लकीर खींच दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सोशल मीडिया पोस्ट ने इस बदलाव की तस्वीर को और साफ कर दिया। इस आयोजन के केंद्र में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ थे, जो अब हिंदुत्व की राजनीति में एक नई भूमिका में नजर आ रहे हैं।
हिंदुत्व से सनातन तक का सफर ,राम मंदिर के उद्घाटन के बाद बीजेपी की राजनीति ने एक नया मोड़ लिया है। अब हिंदुत्व की जगह ‘सनातन’ की बात हो रही है। महाकुंभ का आयोजन इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। इसे सिर्फ एक धार्मिक आयोजन न मानकर एक बड़े राजनीतिक संदेश के रूप में देखा जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पोस्ट में महाकुंभ की सफलता का श्रेय योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व को दिया। उन्होंने लिखा, “यूपी का सांसद होने के नाते मैं गर्व से कह सकता हूं कि योगी जी के नेतृत्व में शासन, प्रशासन और जनता ने मिलकर इस एकता के महाकुंभ को सफल बनाया।” यह बयान सिर्फ प्रशंसा भर नहीं था, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट हो गया कि बीजेपी की राजनीति में योगी का कद लगातार बढ़ रहा है।
योगी, हिंदुत्व के नए ब्रांड एंबेसडर, महाकुंभ के सफल आयोजन ने योगी आदित्यनाथ को न सिर्फ एक प्रभावशाली प्रशासक के रूप में स्थापित किया, बल्कि हिंदुत्व की राजनीति के नए ध्वजवाहक के रूप में भी उभारा। पीएम मोदी और बीजेपी अब इस एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं।
Also Read एम्स करेगा पर्यावरण और व्यावसायिक कारक संबंधित बीमारियो पर अनुसंधान
सनातन बनाम विपक्ष,बीजेपी की रणनीति अब स्पष्ट दिख रही है—विपक्ष के हर सवाल को सनातन के खिलाफ बताया जाएगा। महाकुंभ के जरिए यह संदेश दिया गया कि जो भी इसे लेकर सवाल उठाएगा, वह सीधे-सीधे सनातन संस्कृति पर सवाल खड़ा कर रहा है। यह नया नैरेटिव बीजेपी के आगामी चुनावी अभियान की नींव बन सकता है।
महाकुंभ के सफल आयोजन के बाद योगी आदित्यनाथ की छवि और मजबूत हुई है। अब वे सिर्फ यूपी के मुख्यमंत्री ही नहीं, बल्कि सनातन राजनीति के नए चेहरे के रूप में भी उभर रहे हैं। क्या यह ‘योगी 2.0’ की शुरुआत है? आने वाले चुनावी माहौल में इसका जवाब मिल सकता है।
input sanjay chauhan
देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं