जब जातिवाद के खात्में के लिए महंत अवैद्यनाथ ने एक दलित को बनाया था मंदिर का पुजारी

गोरखपुर: नब्बे के दशक में देश देश जातिवाद की आग में जल रहा था. जाति और मजहब के नाम पर लोग एक दूसरे को मारने पर आमादा थे. मंदिर-मस्जिद विवाद से साम्प्रदायिकता की लपटें पूरे देश को अपने आगोश में ले रहीं थी तो मंडल कमीशन समाज को जातीयता के आधार पर बाँट रहा था. यह सब राजनीति के फायदे की खातिर ही सही लेकिन समाज को घातक मोड़ की ओर ले जा रहा था. लेकिन उसी दौरान समाज से निकलकर एक व्यक्ति ने जातिवाद के खात्मे का बीड़ा उठाया. वह थे तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ.

 

13 जून 1993 को पूरे देश की निगाहें बिहार की राजधानी पटना के प्रसिद्ध महावीर मंदिर पर केंद्रित थी. पहली बार किसी दलित को यहाँ पुजारी नियुक्त किया जा रहा था और इस अभिषेक की पहल कोई और नहीं खुद महंत अवेद्यनाथ कर करे थे. दलित संत सूर्यवंशी दास पुजारी बनें और इसी के साथ लिखी गई एक नई इबारत. इस पर विवाद भी हुआ लेकिन वे अड़े रहे. यही नहीं इसके बाद बनारस के डोम राजा ने उन्‍हें अपने घर खाने का चैलेंज दिया तो उन्‍होंने उनके घर पर जाकर संतों के साथ खाना खाया.

 

महंत अवेद्यनाथ पूर्वान्चल के प्रसिद्ध पीठ गोरखनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर रहते हुए 4 बार विधायक और 4-4 बार सांसद रहे लेकिन हमेशा सामाजिक कुरीतियो को दूर करने और सामाजिक समरसता कायम रखने के लिये प्रयास करते रहे. जानकार बताते हैं कि महंत अवेद्यनाथ का राजनीति में आने का मकसद ही जातिवाद के जहर का खात्मा था.

 

दक्षिण भारत के रामनाथपुरम और मीनाक्षीपुरम में अनुसूचित जाति के लोगों के सामूहिक धर्मातरण की घटना से खासे आहत होते हुए उन्होंने राजनीति में पदार्पण किया. इस घटना का विस्तार उत्तर भारत में न हो, इसके लिए महत्वपूर्ण कदम उठाये गए और राजनीति में रहकर मतान्तरण का ध्रुवीकरण करने के कुटिल प्रयासों को असफल किया. हिन्दू धर्म में ऊंच-नीच दूर करने के लिए उन्होंने लगातार सहभोज के आयोजन किए.

 

महंत अवैद्यनाथ की लड़ाई आज भी लड़ रहा गोरखनाथ मंदिर 

जातिवाद के लिए महंत अवैद्यनाथ की शिक्षा का ही नतीजा है कि आज की तारीख में भी गोरखनाथ मंदिर जातिवाद की लड़ाई लड़ रहा है. आज प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ अनुसूचित जाति से हैं, वहीँ कुरीतियों के कारण जिस समाज में अनुसूचित जाति के लोगों को छूने की भी मनाई थी वहां मंदिर में कु़ल 12 रसोइयों में 7 अनुसूचित जाति से हैं. इतना ही नहीं गोरक्षपीठ के देवीपाटन मंदिर के मुख्यपुजारी महंत मिथिलेश भी अनुसूचित जाति से आते हैं.

 

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वहीं महंत अवैद्यनाथ के शिष्य और उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ भी उन्ही के क़दमों पर चल रहे हैं. सरकार बनाने के बाद सीएम योगी ने सबसे पहले गोरखपुर पहुंचकर 102 अनुसूचित जाति के लोगों के साथ जमीन पर सामूहिक भोजन किया था.

 

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