बत्ती गुल मीटर चालू’ के डायरेक्टर श्री नारायण ने बताया, बिजली का बिल ज्यादा आएं तो करें ये काम

आपका लुक आध्यात्मिक और पूजा-पाठ वाले व्यक्ति का है। तिलक, मालाएं और अंगूठियां। बॉलीवुड में यह कैसी लाइफ स्टाइल है?
मैं अपनी तरह से रहता हूं। पत्नी और दो बच्चे हैं। काम करता हूं, घर जाता हूं। पूजा करता हूं। जिंदगी में सब कुछ करके देख लिया और समझ में यह आया कि सब माया है।

 

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यह विपुल रावल की कहानी है, जिन्होंने ‘रुस्तम’ (अक्षय कुमार) लिखी थी। फिल्म का पहले नाम था रोशनी। विपुल ने प्रेरणा अरोड़ा को स्टोरी दी, जो टॉयलेट की एक प्रोड्यूसर थीं। उन्होंने कहानी मुझे दी और कहा कि शाहिद कपूर इसमें काम करने को इच्छुक हैं। स्टोरी का आइडिया अच्छा था, लेकिन एप्रोच मुझे डिफरेंट चाहिए थी। मैं शाहिद से मिला। उन्हें अपनी बात बताई और वे मेरे एप्रोच पर सहमत हो गए। फिर हमने गरिमा-सिद्धार्थ को आइडिया/कॉन्सेप्ट दिया, उन्होंने रिसर्च-रेकी की और पूरी स्क्रिप्ट लिखी।

 

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ट्रेलर से लगता है कि फिल्म में आपने प्राइवेट बिजली कंपनियों की दादागिरी दिखाई है?
प्राइवेट हो या सरकारी, हम किसी को निशाना नहीं बना रहे। हम बता रहे हैं, सिर्फ वही जिम्मेदार नहीं हैं। आम लोगों की सोच और कार्यप्रणाली भी जिम्मेदार होती है।

 

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हम लोगों को बता रहे हैं कि ज्यादा बिल आ जाए तो सीधे जाकर भर देने की जरूरत नहीं है। बिजली हमारा अधिकार है। ज्यादा बिल आए तो कहां-कहां जाएं और कैसे लड़ें, आपको आपका हक मिलेगा।

 

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‘टॉयलेट और बत्ती गुल जैसी फिल्में बताती हैं कि सिनेमा अब समाज को राह दिखाने की कोशिश कर रहा है। 80-90 के दशक में यह बात गायब हो गई थी। इसके लिए हमें दर्शकों को धन्यवाद देना चाहिए कि उन्होंने नए विषयों को स्वीकार किया। इससे निर्माता-निर्देशकों का मनोबल बढ़ा है। वे अच्छी चीजें कहने को तैयार हैं। बड़े-बड़े कलाकर ऐसी कहानियों में काम करने को तैयार हैं।’

 

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