लोकसभा चुनाव से पहले अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर तमाम चुनौतियों के बीच मोदी सरकार के लिए एक राहत भारी खबर आई है. वर्ल्ड डाटा लैब के मुताबिक भारत में गरीबों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से कम हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक 2011 में भारत में रोजाना 135 रुपये से कम पर भी गुजारा करने वाले लोगों की संख्या 26.8 करोड़ थी जो आज की तारीख में मात्र 5 करोड़ रह गयी है.
वर्ल्ड डाटा लैब की रिपोर्ट
घरेलू उपभोग की दर लगातार बढ़ी है जिसके कारण लोगों के जीवन-स्तर में सुधार देखने को मिल रहा है. टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, थिंक टैंक ब्रुकिंग के अनुसार, भारत जल्द ही कम समय में गरीबी को खत्म करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा देश बन जायेगा. दुनिया भर के अर्थशास्त्रियों ने भारत की इस कामयाबी को नजरअंदाज किया है और यह कभी चर्चा का विषय नहीं बन पाया.
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दावोस में चल रहे ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम’ में ऑक्सफेम ने दावा किया है कि भारत में गरीबों और अमीरों के बीच खाई लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन भारत में गरीबी उन्मूलन के लिए सरकार द्वारा चलाये जा कार्यक्रमों की चर्चा नहीं की गई.
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अमिताभ कांत का जवाब
इसी कार्यक्रम में भारत सरकार की तरह से उपस्थित नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने मोदी सरकार द्वारा चलाये जा रहे जनकल्याण कार्यक्रमों से लोगों का परिचय करवाया. उन्होंने ऑक्सफेम के प्रतिनिधि का भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था पर कटाक्ष का जवाब देते हुए मोदी सरकार के आयुष्मान भारत योजना का जिक्र किया. और कहा कि सरकार 50 करोड़ लोगों को बीमा का लाभ इस योजना के तहत दे रही है जो अमेरिका, यूरोप और मेक्सिको की संयुक्त आबादी के बराबर है.
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DBT स्कीम का मिला फायदा
अमेरिकी मैगज़ीन इकोनॉमिस्ट के मुताबिक, भारत में गरीबों की संख्या में आई कमी तकनीक के इस्तेमाल के कारण हुई है. मोदी सरकार ने ‘डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर’ के तहत सब्सिडी का पैसा डायरेक्ट गरीबों के खाते में पैसा भेज रही है जिसके कारण लोगों के जीवन-स्तर में सुधार हुआ है. इसके अलावा मनरेगा, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और ऐसी तमाम योजनाएं हैं जो ग्रामीण भारत में गरीबी दूर करने में सहायक रही है.
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