UP: उत्तर प्रदेश सरकार ने स्थानीय निकायों के कामकाज में पार्षदों और जिला पंचायत सदस्यों के पतियों, परिवारजनों या अन्य निकट संबंधियों के हस्तक्षेप पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है। निदेशक नगर निकाय निदेशालय, अनुज झा ने प्रदेश के सभी मंडलायुक्तों, जिलाधिकारियों, नगर आयुक्तों और नगर पंचायतों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि निर्वाचित और पदेन महिला पदाधिकारियों की बैठकों, नीतिगत निर्णयों और प्रशासनिक कार्यों में कोई भी रिश्तेदार या परिचित शामिल नहीं हो सकेगा।
सख्त निर्देश
आदेश में पुरुष जनप्रतिनिधियों के मामलों में भी उनके परिवारजनों या प्रतिनिधियों के हस्तक्षेप से दूरी बनाने की बात कही गई है। निदेशक ने यह निर्देश राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के संदर्भ में जारी किया है। आयोग ने पाया कि अक्सर महिला सांसद, विधायक और स्थानीय निकायों की निर्वाचित महिला सदस्य जिन अधिकारों को इस्तेमाल करती हैं, उनका उपयोग उनके पुरुष रिश्तेदार कर लेते हैं।
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प्रयागराज में महिला पार्षदों का नाम तक नहीं जाना जाता
प्रयागराज नगर निगम में महिला पार्षदों के कामकाज पर उनके पति और अन्य रिश्तेदारों का व्यापक प्रभाव देखा गया है। कई वार्डों में मतदाता भी अपनी महिला पार्षद का नाम नहीं जानते। आरक्षित सीटों से निर्वाचित हुई महिलाएं अक्सर केवल मतदान में भाग लेने के लिए आती हैं, जबकि उनके पति या अन्य रिश्तेदार सभी कामकाज संभालते हैं।
सरकारी बैठकों में भी रिश्तेदारों का वर्चस्व
नगर निगम द्वारा आयोजित सरकारी बैठकों में कई महिला पार्षद शामिल नहीं होतीं। इसके बावजूद, उनके रिश्तेदार या पति अधिकारियों के सामने बैठकर महत्वपूर्ण निर्णयों में अपनी इच्छा मनवाते हैं। निदेशक नगर निकाय ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए अधिकारियों को आदेश का पालन सुनिश्चित करने और इसकी जानकारी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को देने का निर्देश दिया है।















































