दिल्ली: प्रखर राष्ट्रवादी, महान विचारक, संविधान निर्माता, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और जनसंघ के संस्थापक श्यामाप्रसाद मुखर्जी (Syama Prasad Mukherjee) के जन्मदिवस 6 जुलाई को “एक विधान एक संविधान” अभियान का आयोजन होने जा रहा है. यह आयोजन शाम 5 बजे इंडिया गेट से शुरू होगा. इसकी शुरुआत समान शिक्षा, समान चिकित्सा, समान नागरिक संहिता, जनसंख्या विस्फोट और घुसपैठ जैसे देशहित के मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में अब तक 50 से अधिक जनहित याचिका दाखिल करने वाले भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) करेंगे. करावल नगर से विधायक कपिल मिश्रा, सुप्रीम कोर्ट के मशहूर वकील प्रशांत पटेल और अश्विनी दुबे भी इस आयोजन में शामिल होंगे.
अश्विनी उपाध्याय ने बताया, ” संविधान दो शब्दों ‘सम’ और ‘विधान’ से मिलकर बना है और सम का अर्थ है समान अर्थात ऐसा विधान जो भारत के सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होता है, उसे संविधान कहते हैं. भारत एक सेक्युलर देश है इसलिए यहां जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र या लिंग के आधार पर अलग-अलग कानून नहीं हो सकता है”.
उपाध्याय ने कहा कि “एक विधान, एक संविधान, एक राष्ट्रभाषा, एक राष्ट्रगान, एक निशान और एक प्रधान” हमारे संविधान निर्माताओं का सपना था लेकिन वोटबैंक राजनीति के कारण आज भी “दो विधान और दो संविधान” चल रहा है. आज तक हिंदी या संस्कृति” को राष्ट्रभाषा घोषित नहीं किया गया. संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर, सरदार पटेल और श्यामाप्रसाद मुखर्जी आर्टिकल 35A और 370 के खिलाफ थे और वे हिंदू, मुसलमान, ईसाई, पारसी के लिए धार्मिक आधार पर अलग-अलग कानून नहीं बल्कि देश के सभी नागरिकों के लिए “एक समान नागरिक संहिता” चाहते थे, और इसीलिए संविधान में आर्टिकल 14 और 44 रखा गया लेकिन आजादी के 70 साल बाद भी उनका “एक विधान एक संविधान” का सपना साकार नहीं हुआ.
अश्विनी उपाध्याय ने राष्ट्रवाद, सुशासन और लैंगिक समानता से संबंधित अनेक महत्वपूर्ण जनहित याचिकाएं दाखिल की हैं. आर्टिकल 14 और 44 की भावना के अनुरूप एक समान नागरिक संहिता लागू करने और वेंकटचलैया आयोग की सिफारिशों के अनुरूप जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग वाली अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है. समान नागरिक संहिता पर 8 जुलाई और जनसंख्या नियंत्रण पर 3 सितंबर को सुनवाई होगी लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक अपना जबाब कोर्ट में दाखिल नहीं किया.
आर्टिकल 35A और 370 को अवैध घोषित करने की मांग वाली उपाध्याय की जनहित याचिका दो साल से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है लेकिन केंद्र सरकार ने अभीतक यह स्पष्ट नहीं किया कि वह आर्टिकल 35A और 370 के समर्थन में है या विरोध में.
तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट में सबसे पहले अश्विनी उपाध्याय ने चैलेन्ज किया था और सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को अवैध घोषित कर दिया. बहुविवाह, निकाह हलाला, निकाह मुताह, निकाह मिस्यार और शरिया अदालत पर प्रतिबंध की मांग वाली उपाध्याय की जनहित याचिका एक साल से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया.
रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों का एक साल में निष्कासन तथा अल्पसंख्यक की परिभाषा घोषित करने, उनकी पहचान करने का नियम बनाने और आठ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग वाली उपाध्याय की जनहित याचिका 2017 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक अपना जबाब दाखिल नहीं किया.
पूरे देश में शराब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने और भारत को नशा-मुक्त और शराब-मुक्त देश घोषित करने की मांग वाली अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सरकार का कार्य है.
प्रत्येक माह के प्रथम रविवार को ‘पोलियो दिवस’ के स्थान पर ‘स्वास्थ्य दिवस’ मनाने और गरीबों को कंडोम तथा गर्भ निरोधक गोलियां मुफ्त में देने की मांग वाली अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट पहले ही निर्देश दे चुका है.
सौ रुपये से बड़े नोट और दस हजार रुपये से महंगे सामान के कैश लेन-देन पर प्रतिबंध लगाने तथा एक लाख रुपये से महंगी चल-अचल संपत्ति को आधार से लिंक करने की मांग वाली अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दो साल से लंबित है लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया.
आतंकवादियों, अलगाववादियों, भ्रष्टाचारियों, कालाधन, बेनामी संपत्ति और आय से अधिक संपत्ति रखने वालों का नार्को एनालिसिस, पॉलीग्राफ और ब्रेनमैपिंग टेस्ट की मांग वाली उपाध्याय की जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक अपना जबाब दाखिल नहीं किया.
अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका के कारण केंद्र में लोकपाल और सभी राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति हो चुकी है लेकिन केंद्र सरकार के जबाब दाखिल नहीं करने के कारण सभी सरकारी विभागों में सिटीजन चार्टर लागू करने की मांग वाली जनहित याचिका अभीतक सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है.
जमाखोरों, मिलावटखोरों, तस्करों, हवाला कारोबारियों, कालाधन बेनामी प्रॉपर्टी और आय से अधिक संपत्ति रखने वालों, नकली पासपोर्ट फर्जी आधार और पैन कार्ड बनाने वालों को आजीवन कारावास की सजा की मांग वाली अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका कोर्ट में लंबित है.
अंग्रेजों द्वारा 1860 में बनाई गई भारतीय दंड संहिता और 1872 में बनाये गए एविडेंस ऐक्ट की समीक्षा करने, अंग्रेजों द्वारा 1861 में बनाये गए पुलिस ऐक्ट को समाप्त कर 2006 में बने मॉडल पुलिस ऐक्ट को लागू करने की मांग वाली अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
हिंदी और संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाने, योग के प्रचार-प्रसार के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाने तथा राष्ट्रगान (जन-गण-मन) और राष्ट्रगीत (वंदेमातरम) के प्रचार-प्रसार के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए भी अश्विनी उपाध्याय सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर चुके हैं लेकिन कोर्ट ने कहा कि नीति बनाना सरकार का कार्य है.
वर्तमान समय में लागू शिक्षा अधिकार कानून (RTE) के स्थान पर समान शिक्षा अधिकार (RTEE) कानून लागू करने, एक देश एक शिक्षा बोर्ड (वन नेशन वन एजुकेशन बोर्ड) लागू करने तथा कक्षा 1-8 तक के सभी बच्चों के लिए एक समान सिलेबस लागू करने के लिए भी अश्विनी उपाध्याय जनहित याचिका दाखिल कर चुके हैं.
ईवीएम के स्थान पर आधार आधारित वोटिंग सिस्टम लागू करने और राजनीतिक दलों द्वारा एक व्यक्ति से एक साल में 2000 रुपये से अधिक कैश डोनेशन लेने पर प्रतिबंध लगाने के लिए भी अश्विनी उपाध्याय जनहित याचिका दाखिल कर चुके हैं.
सांसदों-विधायकों के मुकदमों के शीघ्र निस्तारण के लिए स्पेशल कोर्ट बनाने, सजायाफ्ता व्यक्ति के चुनाव लड़ने, राजनीतिक पार्टी बनाने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध लागू करने की मांग वाली उपाध्याय की जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
चुनाव लड़ने के लिये न्यूनतम शैक्षिक योग्यता और अधिकतम आयु सीमा का निर्धारण करने तथा सांसद विधायक रहते हुए कोई नौकरी या किसी भी प्रकार का दूसरा व्यापार करने पर प्रतिबंध की मांग वाली उपाध्याय की जनहित याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित है.
लोकसभा, विधानसभा, ग्रामसभा, ग्राम पंचायत और नगर निगम चुनाव एक साथ रविवार के दिन कराने तथा लोकसभा, विधानसभा, ग्रामसभा, ग्राम पंचायत और नगर निगम चुनाव के लिए कॉमन वोटर लिस्ट की मांग वाली उपाध्याय की याचिका चुनाव आयोग में लंबित है.
लोकसभा और विधानसभा चुनाव दो सीटों से लड़ने पर प्रतिबंध लगाने, मतगणना के लिए टोटलाइजर का प्रयोग अर्थात एक-एक ईवीम की मतगणना के स्थान पर बीस-बीस ईवीम को जोड़कर एक साथ मतगणना करने और मतदाता पहचान पत्र बनाने के लिए पोस्ट आफिस को नोडल एजेंसी घोषित करने की मांग वाली उपाध्याय की जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है.
प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और नेता विपक्ष के कॉलेजियम द्वारा चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने, लोकसभा सचिवालय की तर्ज पर चुनाव आयोग का स्वतंत्र सचिवालय बनाने और सुप्रीम कोर्ट की तर्ज पर चुनाव आयोग को नियम बनाने की शक्ति प्रदान करने की मांग वाली उपाध्याय की जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
साढ़े तीन करोड़ लंबित मुकदमों का 3 साल में निस्तारण करने, सभी अदालतों द्वारा प्रतिवर्ष कम से कम 225 दिन और प्रतिदिन 6 घंटे मुकदमों की सुनवाई करने के लिए भी उपाध्याय ने जनहित याचिका दाखिल किया है.
अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका पर मथुरा जवाहर बाग हिंसा की सीबीआई जांच हो रही है. उपाध्याय की जनहित याचिका पर अतीक अहमद द्वारा जेल में पिटाई की सीबीआई जांच शुरू हो गयी है और उसे उत्तर प्रदेश से गुजरात जेल में स्थानांतरित कर दिया गया है.
चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास का व्योरा अखबार और समाचार चैनल में प्रकाशित करने, जजों की नियुक्ति के लिए IAS की तर्ज पर भारतीय न्यायिक सेवा (IJS) शुरू करने तथा देश की एकता और अखंडता को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय एकता और अखंडता आयोग की स्थापना करने के लिए भी उपाध्याय जनहित याचिका दाखिल कर चुके हैं.
श्यामाप्रसाद मुखर्जी के विरोध के कारण कश्मीर में तो परमिट सिस्टम समाप्त हो गया लेकिन नागालैंड में अभी भी चल रहा है जिसे उपाध्याय ने जनहित याचिका के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में चैलेन्ज किया है.
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