‘पहलगाम अटैक बिना लश्कर की मदद के संभव नहीं…’, UNSC रिपोर्ट से खुली पाकिस्तान के झूठ की पोल

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की सेंक्शंस मॉनिटरिंग टीम ने अपनी 36वीं रिपोर्ट में 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के पीछे ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) का हाथ बताया है। TRF ने हमले की जिम्मेदारी दो बार ली थी, लेकिन बाद में अपना बयान बदल लिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह हमला पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की मदद के बिना मुमकिन नहीं था, क्योंकि TRF और LeT के बीच मजबूत संबंध हैं।

पहलगाम हमला

22 अप्रैल को हुए इस आतंकी हमले में आतंकियों ने बायसरन घाटी में पर्यटकों को निशाना बनाकर अंधाधुंध गोलियां चलाईं, जिसमें 1 नेपाली नागरिक समेत 26 लोगों की जान चली गई थी। यह 2008 के मुंबई हमलों के बाद नागरिकों पर लश्कर का सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है। UNSC की रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि पहलगाम जैसे संवेदनशील इलाकों में आतंकी फिर से माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर सकते हैं।

TRF का पलट गया बयान, पाकिस्तान पर दबाव का संकेत

हमले के ठीक बाद TRF ने घटनास्थल की तस्वीरों के साथ जिम्मेदारी ली थी। लेकिन 26 अप्रैल को संगठन ने दावा किया कि उसकी वेबसाइट हैक हो गई थी और उसने कोई जिम्मेदारी नहीं ली। दिलचस्प बात यह है कि 25 अप्रैल को UNSC ने हमले की निंदा करते हुए जो बयान जारी किया, उसमें TRF का नाम नहीं था। बाद में पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने बताया कि TRF का नाम हटवाने के लिए उन्होंने दबाव डाला था।

अमेरिका ने TRF को घोषित किया वैश्विक आतंकी संगठन

18 जुलाई को अमेरिका ने TRF को विदेशी आतंकी संगठन (FTO) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकी (SDGT) घोषित कर दिया। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि यह संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक प्रॉक्सी है और भारत में कई आतंकी हमलों की जिम्मेदारी ले चुका है। उन्होंने इस फैसले को पहलगाम हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में एक मजबूत कदम बताया।

भारत की कड़ी प्रतिक्रिया

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिकी फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह भारत-अमेरिका आतंकवाद विरोधी सहयोग की मजबूती को दर्शाता है। उन्होंने X पर लिखा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर कायम है। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि TRF को ISI और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों से समर्थन प्राप्त है और यह संगठन 2019 में आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर में सक्रिय हुआ है।

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