माह के पहले हफ्ते से जारी कच्चे तेल की कीमतों की उछाल ने सबको चौका दिया है. बाजार के जानकारों के मुताबिक अगर कच्चे तेल के दामों में यही उछाल बना रहा तो पेट्रोल के दाम अप्रैल-मई तक 75 रुपये के पार चले जाएंगे. जानकारों के मुताबिक डीजल के दाम भी 70 के पार जाने की आशंका है. बता दें कि तेल के दामों में अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक सुलह की उम्मीदों के बाद आया है. अगर आने वाले दिनों में इन दो देशों के बीच अगर कोई डील होती है तो वैश्विक आर्थिक विकास के साथ उपभोग बढ़ने की संभावना के साथ कच्चा तेल बढ़ सकता है.
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गौरतलब है कि, पिछले दो माह में पेट्रोल के दाम में चार रुपये की बढ़ोत्तरी हुई है. इस साल पांच जनवरी को यह 68.29 रुपये प्रति लीटर था और सोमवार चार मार्च को यह 72.17 रुपये प्रति लीटर हो चुका है. वहीं डीजल सोमवार को 67.41 रुपये प्रति लीटर रहा, जो पांच जनवरी को 62.26 रुपये प्रति लीटर था.
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वहीं तेल उत्पादक प्रमुख देशों के संगठन ओपेक की कटौती पूरी तरह लागू होने से भी कीमतों पर दबाव बढ़ा है और वे फिर उछाल की ओर हैं. सोमवार को कच्चा तेल 65.25 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया. कच्चा तेल पिछले एक-डेढ़ माह में 15 फीसदी बढ़ चुका है. रेटिंग एजेंसी फिच के ऊर्जा विश्लेषकों का कहना है कि कच्चा तेल 2019 के मध्य तक 73 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है. यह तेल पर निर्भर अर्थव्यवस्थाओं के लिए नुकसानदेह होगा.
अमेरिका और चीन की डील से मचा उथल-पुथल
अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, डील के बाद अमेरिका चीन के 200 अरब डॉलर मूल्य के उत्पादों पर से शुल्क वापस ले सकता है. इससे दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच चल रहा व्यापारिक युद्ध खत्म हो सकता है और व्यापार में सामान्यता से कच्चे तेल की खपत को भी मजबूती मिलेगी. चीन के अधिकारियों ने भी वार्ता में महत्वपूर्ण प्रगति के संकेत दिए हैं. बारक्लेस बैंक का कहना है कि सऊदी अरब की अगुवाई वाले ओपेक ने तेल आपूर्ति को फरवरी में चार साल के सबसे निचले स्तर तक पहुंचा दिया है. अमेरिकी प्रतिबंधों से ईरान और वेनेजुएला की तेल आपूर्ति में भी कमी आई है.
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