प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने फ्रांस दौरे के आखिरी दिन फ्रांस के मार्सिले में भारतीय वाणिज्य दूतावास का उद्घाटन किया। इस अवसर पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी मौजूद थे। यह दूतावास भारत और फ्रांस के बीच बढ़ते रिश्तों और व्यापारिक सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
भारत-फ्रांस ज्वाइंट स्टेटमेंट में क्या कहा गया?
मार्सिले का रणनीतिक महत्व
- मार्सिले, भूमध्यसागरीय तट पर स्थित होने के कारण, भारत और फ्रांस के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक हब बन चुका है। यह स्थान भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMECE) का एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार है। IMEC परियोजना की घोषणा G20 शिखर सम्मेलन 2023 में की गई थी, जो दोनों देशों के बीच सहयोग के नए रास्ते खोल रही है।
भारत-फ्रांस द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा
- पीएम मोदी और राष्ट्रपति मैक्रों ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए बातचीत की। संयुक्त बयान में दोनों नेताओं ने वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की और भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी को और प्रगाढ़ बनाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
रणनीतिक क्षेत्रों में सहयोग की समीक्षा
- प्रधानमंत्री मोदी और मैक्रों ने रक्षा, असैन्य परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष के क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग की समीक्षा की। इसके अलावा, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के तरीके पर भी चर्चा की गई।
व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ाने की आवश्यकता
- बयान में व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। दोनों नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझेदारी को गहरा करने की प्रतिबद्धता जाहिर की और AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के क्षेत्र में जनहित को ध्यान में रखते हुए ठोस कदम उठाने की बात कही।
वैश्विक बहुपक्षवाद में सुधार की आवश्यकता
- प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मैक्रों ने वैश्विक बहुपक्षवाद में सुधार की बात की और न्यायसंगत, शांतिपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था बनाए रखने का संकल्प लिया। इसके साथ ही, दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया और भारत को UNSC में स्थायी सदस्यता देने का समर्थन किया।
‘India-France Year of Innovation’ की घोषणा
- प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मैक्रों ने मार्च 2026 में नई दिल्ली में ‘India-France Year of Innovation’ के उद्घाटन की घोषणा की, जो दोनों देशों के बीच विज्ञान, तकनीकी और नवाचार के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण कदम है।