प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चौथे बिम्सटेक सम्मेलन में भाग लेने के लिए आज काठमांडो पहुंचे. यह सम्मेलन क्षेत्रीय संपर्क और व्यापार को बढ़ाने पर केंद्रित होगा. मोदी ने बुधवार को कहा था कि काठमांडो में हो रहा बिमस्टेक सम्मेलन भारत के लिए उसके पड़ोसियों के महत्व को दर्शाता है और दिखाता है कि भारत दक्षिण-पूर्व एशिया के बड़े पड़ोस के प्रति भी भारत प्रतिबद्ध है.
दो दिवसीय सम्मेलन के लिए नेपाल रवाना होने से पहले मोदी ने कहा था कि सम्मेलन से इतर वह बांग्लादेश, भूटान, म्यामां, श्रीलंका और थाईलैंड के नेताओं से मुलाकात करेंगे. चौथे बिमस्टेक सम्मेलन की थीम है ”शांतिपूर्ण, समृद्ध और सतत बंगाल की खाड़ी की ओर.
उन्होंने कहा था, ”मैं नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली से मिलने और मई 2018 में मेरी नेपाल यात्रा से अभी तक द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा करने को लेकर उत्सुक हूं. मोदी ने कहा कि वह और ओली पशुपतिनाथ मंदिर परिसर में नेपाल भारत मैत्री धर्मशाला का उद्घाटन करेंगे. बिमस्टेक क्षेत्रीय देशों का एक समूह है. भारत, बांग्लादेश, म्यामांर, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान और नेपाल इसके सदस्य देश हैं. मजे की बात यह है कि इन देशों में वैश्विक जनसंख्या का 22 प्रतिशत निवास करता है.
माना जा रहा है कि नेपाल में प्रस्तावित सम्मेलन दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने के अलावा बिम्सटेक में शामिल दक्षिण एशिया व दक्षिण पूर्व एशिया के देशों से काफी बेहत होंगे. भारत ने सार्क को लेकर अभी तक अपना रुख साफ नहीं किया है. कूटनीतिक जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान में नई सरकार बनने के बाद नई सरकार के रुख से ही दोनों देशों के आपसी रिश्ते और सार्क के बारे में कुछ कहा जा सकता है.
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