वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जम्मू कश्मीर में धारा 35A को लेकर कांग्रेस और नेहरू परिवार पर हमला बोला है. उन्होंने इसे भेदभाव वाला बताया है. उन्होंने कहा इसे संविधान संशोधन के तहत नहीं लगाया गया था, जो भेदभाव करने की अनुमति करता है. जेटली ने पूछा कि क्या ये नेहरू की जम्मू कश्मीर को लेकर कार्यप्रणाली सही थी?. क्या कश्मीर को लेकर हमारी नीति उसी दोषपूर्ण नजरिए से संचालित होनी चाहिए या एक अलग नजरिए से, जो कि जमीनी हालात के अनुरूप भी हो.
अरुण जेटली ने कहा कि धारा 35A से भेदभाव के कारण लोग संपत्ति नहीं खरीद सकते हैं, उनके बच्चों को कॉलेजों में दाखिला नहीं मिल सकता. सरकारी नौकरियां नहीं मिल सकती और पंचायत के चुनाव में वोट भी नहीं डाल सकते. इसका असर ये हुआ कि राज्य में आर्थिक साधन कम थे और बाहर से कोई आर्थिक साधन आ नहीं सका, जिसके कारण कोई कॉलेज नहीं बना, कोई यूनिवर्सिटी नहीं बनी, कोई उद्योग नहीं लगे. इसकी वजह से अर्थव्यवस्था सिकुड़ी और कोई नौकरियां नहीं आयीं. इसका सबसे अधिक नुकसान जम्मू कश्मीर की जनता को हुआ.
अरुण जेटली ने कहा कि 7 दशकों के बाद यह प्रश्न हमारे सामने आता है कि क्या कश्मीर को लेकर नेहरु जी का दृष्टिकोण सही था? उसका असर ये हुआ कि अलग अस्तित्व से यात्रा अलगाववाद की ओर चली गयी. स्वाभविक है कि आज समय आ गया है कि क़ानून का राज जम्मू कश्मीर में भी हो और इसलिए पिछले कुछ महीनों में कश्मीर में क़ानून के राज की व्यवस्था बनी है. अलगाववाद की जड़ पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है. एनआइए और इनकम टैक्स ने अवैध फंडिंग पर रोक लगाने का काम किया है. जो लोग इस देश से अलग होने की बात करते थे उनकी सुरक्षा वापस ले ली गयी है और जनता के लिए शान्ति के माहौल को एक बार फिर से बनाने का प्रयास किया जा रहा है.
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