CM योगी के फॉर्मूले ने बचाए 3100 करोड़ रुपए, अखिलेश-मायावती सरकार से सस्ती खरीदी जा रही बिजली

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालने के बाद यूपीवालों को सस्ती बिजली मुहैया कराने के लिए बिजली विभाग को एक फॉर्मूला दिया। मुख्यमंत्री के इस फॉर्मूले को अपनाने के बाद बिजली विभाग ने दावा किया है कि अबतक 3100 करोड़ रुपए से अधिक की बचत की जा चुकी है।

 

सीएम योगी ने बिजली विभाग को सौंपा था तीन सूत्री टास्क

दरअसल सीएम योगी ने बिजली विभाग को समाजवादी पार्टी की सरकार से सस्ती बिजली खरीदने, उपभोक्ताओं को ज्यादा से ज्यादा बिजली देने और बिजली खरीदने व उत्पादन में कमी लाने का तीन सूत्री टास्क सौंपा था। जिसके नतीजे अब सामने आ रहे हैं। ऊर्जा विभाग ने मुख्यमंत्री योगी को हाल ही में एक रिपोर्ट भेजी है, जिसमें इस बात का खुलासा हुआ है कि सीएम योगी के फॉर्मूले पर काम करने से उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल हुई।

 

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बिजली विभाग ने सीएम योगी को भेजी गयी रिपोर्ट में दावा किया है कि 2017-18 में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 3100 करोड़ रुपए से अधिक की बचत की गई है। वहीं, प्रमुख सचिव ऊर्जा आलोक कुमार की ओर से भेजी प्रगति रिपोर्ट में बताया गया है कि नई सरकार के सत्ता में आते ही अप्रैल 2017 में सभी उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली देने के लिए केंद्र सरकार के साथ पावर फॉर ऑल का समझौता किया गया।

 

बिजली खरीद की कीमत में कमी लाने की बनाई रणनीति

मिली जानकारी के मुताबिक, बिजली खरीद की कीमत में कमी लाने के लिए अनिवार्य रूप से सेंट्रल और स्टेट सेक्टर से या फिर प्रतिस्पर्धात्मक बिडिंग के जरिए ही बिजली खरीद की रणनीति बनाई गई। तीसरा, स्टेट सेक्टर के तापीय विद्युत उत्पादन गृहों को पर्याप्त सुविधाएं व ओवरहॉलिंग के लिए आवश्यक फंड प्राथमिकता पर उपलब्ध कराने की पहल शुरू हुई।

 

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इन फैसलों पर अमल की कड़ी में ही योगी सरकार ने पिछली सरकारों द्वारा एमओयू रूट से 7040 मेगावाट बिजली खरीद के एमओयू को जून 2017 में निरस्त कर दिया। जिसके परिणाम अब सामने आ रहे हैं। प्रदेश सरकार ने प्रदूषण रहित ऊर्जा के तहत 500-500 मेगावाट सौर ऊर्जा के लिए दो चरणों में प्रतिस्पर्धात्मक बिडिंग की।

 

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पहले चरण में सौर ऊर्जा की दरें 3.17 रुपये से 3.23 रुपये प्रति यूनिट तथा द्वितीय चरण में 3.02 रुपये से 3.08 रुपये प्रति यूनिट आई। इस तरह 1000 मेगावाट सौर ऊर्जा 3.02 रुपये से 3.23 रुपये प्रति यूनिट के बीच उपलब्ध हो सकेगा।

 

अखिलेश और मायावती सरकार से सस्ती बिजली खरीद के अनुबंध

मिली जानकारी के मुताबिक, पिछली सरकारों और योगी सरकार के बीच बिजली खरीद के जो पीपीए सामने आए हैं, उसमें बिजली खरीद के पीछे का अर्थशास्त्र सामने आ रहा है। बसपा और सपा शासनकाल में 2010 से 2015 के बीच किए गए पीपीए में जहां बिजली दरें 5.28 रुपये प्रति यूनिट से 6.82 रुपये प्रति यूनिट तय हुई थीं, योगी सरकार में 2.98 रुपये से 3.46 रुपये तक पड़ी हैं।

 

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बिजली उत्पादन और खरीद लागत घटी

  • अखिलेश और योगी सरकार में बिजली खरीद में अंतर
  • सपा राज में एमओयू आधार पर पीपीए बिजली की वर्तमान नेट दर (रु. प्रति यूनिट)
  • रोजा परियोजना 1200 मेगावाट 5.28
  • बजाज एनर्जी 450 मेगावाट 7.93
  • ललितपुर परियोजना 6.82योगी सरकार में किए गए पीपीए
  • सिंगरौली स्टेज-॥ । ( 1320 मेगावाट ) 2.98
  • न्यू नबीनगर ( 209 मेगावाट) 3.46

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जानकारी के मुताबिक, राज्य विद्युत उत्पादन निगम की सभी परियोजनाओं में सुधार की कार्ययोजना पर काम शुरू हुआ। इससे वर्षवार औसत उत्पादन 4000 मेगावाट से बढ़कर 4400 मेगावाट हो गया। इसके अलावा बिजली की उत्पादन लागत 4.09 रुपये प्रति यूनिट से घटकर 3.47 रुपये तथा बिजली खरीद की औसत लागत 2016-17 में 4.12 रुपये प्रति यूनिट के मुकाबले 2017-18 में घटकर 3.86 रुपये प्रति यूनिट आ गई।

 

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वहीं, 2016-17 में 1,06,061 मिलियन यूनिट बिजली खरीदी गई थी, जबकि 2017-18 में 1,19,051 मिलियन यूनिट बिजली खरीदी गई। 12990 मिलियन यूनिट अधिक बिजली खरीद के बावजूद खरीद लागत में 0.26 रुपये प्रति यूनिट की कमी आई जिससे अकेले बिजली खरीद मद में लगभग 3100 करोड़ रुपये की बचत हुई।

 

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