छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस की जीत का असर यूपी में दिखने लगा है. अब तक गठबंधन को लेकर कांग्रेस से दूरी बना रहे समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और बहुजन समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मायावती दोनों के तेवर बदल चुके हैं. वहीं कांग्रेस भी खुद को ताकतवर बता रही है. पार्टी नेताओं का कहना है कि वो एक राष्ट्रीय दल है. भले ही यूपी में वो सत्ता से दूर रही है, लेकिन गठबंधन में किसी दल का दबाव नहीं सहेगी. कुल मिलाकर साफ़ है कि कांग्रेस अब कम सीटें या छोटे भाई की भूमिका निभाने के लिए राजी नहीं होने वाली है.
यूपी कांग्रेस के मीडिया हेड राजीव बख्शी ने 2019 के लिए गठबंधन की सूरत पर पूछे गए सवाल पर कहा कि ” हम अखिलेश यादव और मायावती को आमंत्रित करते हैं कि वे 2019 में बीजेपी को सत्ता से रोकने के लिए बन रहे गठबंधन का हिस्सा बनें. हां ये जरूर है कि कांग्रेस एक नेशनल पार्टी होने के तहत उसके अपने मताधिकार हैं. उसकी एक प्रक्रिया है. यहां कोई एक व्यक्ति निर्णय नहीं करता है कि गठबंधन होगा की नहीं होगा. सभी निर्णय सामूहिक होता है. लिहाजा इन सभी दलों को भी ये समझने की आवश्यकता है कि एक लोकतांत्रिक पार्टी में कार्यकर्ता से लेकर अध्यक्ष तक को चुना जाता है.”
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चुनाव से पहले तक सपा-बसपा गठबंधन सम्मानजनक सीट की तलाश करने वाली कांग्रेस अब यह कह रही है कि वह तय करेगी की महागठबंधन में किसे कितना सीट मिलेगा. बख्शी ने कहा, “इसमें कोई दो राय नहीं है कि हम यूपी में कई सालों से सत्ता में नहीं हैं. लेकिन एक राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते सभी से राय लेकर ही आगे बढ़ेंगे और गठबंधन को लेकर कोई दबाव नहीं सहेंगे. अब यह पार्टी तय करेगी की गठबंधन में इसे कितनी सीटें मिलेगी.” उन्होंने कहा कि यूपी में गठबंधन को लेकर कांग्रेस किसी के अनर्गल दबाव में नहीं आएगी.
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