भारत के पूर्व राष्ट्रपति और एक समय कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) द्वारा लिखी गई किताब ‘द प्रेसिडेंशियल ईयर्स’ (The Presidential Years) को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। इस किताब में उन्होंने कांग्रेस से लेकर भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अरविंद केजरीवाल तक का जिक्र किया है। लेकिन प्रणब मुखर्जी की किताब में सबसे चौंकाने वाला जिक्र कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बारे हैं, जिनपर प्रणब ने कुछ खराब फैसले लेने का आरोप लगाया है।
प्रणब मुखर्जी ने 2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार पर कहा कि उस दौरान पार्टी की हार की एक मुख्य वजह यह थी कि वह लोगों की उम्मीद और आकांक्षाएं पूरी करने में असफल रही थी। मुखर्जी ने बिना नाम लिए कहा कि कुछ वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की राजनीतिक अनुभवहीनता और घमंड ने भी आगे पार्टी को नुकसान पहुंचाया।
प्रणब मुखर्जी ने संस्मरण में लिखा कि मुझे लगता है कि संकट के समय पार्टी नेतृत्व को अलग दृष्टिकोण से आगे आना चाहिए। अगर मैं सरकार में वित्त मंत्री के तौर पर काम जारी रखता, तो मैं गठबंधन में ममता बनर्जी का रहना सुनिश्चित करता। इसी तरह महाराष्ट्र को भी बुरी तरह संभाला गया। इसकी एक वजह सोनिया गांधी की तरफ से लिए गए फैसले भी थे। मैं राज्य में विलासराव देशमुख जैसे मजबूत नेता की कमी के चलते शिवराज पाटिल या सुशील कुमार शिंदे को वापस लाता।
प्रणब मुखर्जी ने लिखा कि मुझे नहीं लगता कि मैं तेलंगाना राज्य के गठन को मंजूरी देता। मुझे पूरा भरोसा है कि सक्रिय राजनीति में मेरी मौजूदगी से यह सुनिश्चित हो जाता कि कांग्रेस को वैसी मार न पड़ती, जैसी उसे 2014 लोकसभा चुनाव में झेलनी पड़ी।
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