गोडसे को आतंकी बताने पर प्रशांत पटेल बोले- आतंकवादी वही बता रहे जो ‘भारत तेरे टुकड़े होंगेे’ वालों को क्रांतिकारी मानते हैं

आम आदमी पार्टी के विधायकों की लाभ के पद मामले में सदस्यता रद्द कराने वाले और सुप्रीम कोर्ट के मशहूर वकील प्रशांत पटेल ने हिन्दुओं और नाथूराम गोडसे को आतंकवादी बताने वालों पर बड़ा हमला बोला है.


मंगलवार को प्रशांत पटेल ने ट्वीट कर लिखा “भारत से अलग होने का प्रयास करने वाले गद्दार निजाम के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष कर कारावास झेलने वाले और अंतिम इच्छा में भी भारत को अखण्ड देखने की कामना करने वाले Godse को आतंकवादी वही बता रहे हैं, जो ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ का नारा लगाने वालों को क्रांतिकारी मानते हैं”.


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दरअसल, सोमवार को महाराष्ट्र के वर्धा में पीएम नरेंद्र मोदी ने ‘हिन्दू आतंकवाद’ को लेकर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने शांतिप्रिय हिन्दुओं पर आतंकवादी होने का ठप्पा लगाने और धर्म मार्ग पर चलने वालों को अपमानित करने का काम किया है. पीएम ने कहा कि इतिहास गवाह है कि एक भी हिन्दू आतंकी गतिविधियों में लिप्त नहीं पाया गया है, जिसे लेकर कुछ लोगों ने पीएम को ट्रोल करना शुरू कर दिया. कांग्रेस नेता संजय झा और पूर्व आप नेता और पत्रकार आशुतोष समेत कई वामपंथी विचार के लोगों ने पीएम के बयान को नाथूराम गोडसे से जोड़कर उन्हें निशाने पर लिया.


आशुतोष ने ट्विटर पर पीएम मोदी को टैग करके लिखा “श्रीमान प्रधानमंत्री, नाथूराम गोडसे कौन था? क्या वह आतंकवादी नहीं था?



आशुतोष के को ट्वीट पर प्रशांत पटेल ने कोट करके पूछा “आतंकवादी की परिभाषा क्या है? यदि कोई व्यक्ति निजी दुश्मनी या अचानक उकसावे में आकर दूसरे व्यक्ति की हत्या करता है तो उसे आतंकी घटना नहीं कह सकते, जैसे कि काशीराम जी ने आपके साथ किया”.


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आशुतोष के अलावा कांग्रेस नेता संजय झा ने भी ट्वीट कर लिखा “गाँधी बनाम गोडसे..भारत, मर्जी आपकी”





कौन थे नाथूराम गोडसे

नाथूराम गोडसे के बारे में आम तौर पर लोग महात्मा गाँधी की हत्या करने वाला और हिन्दू व्यक्ति के तौर पर ही जानते हैं. भले ही नाथूराम ने गांधी का हत्या की थी लेकिन इससे पहले वो उनके विचारों से बेहद प्रभावित थे. यहाँ तक कि उनका खुद कहना था कि आजादी की लड़ाई में सावरकर के बाद गांधी जी के ही विचारों ने मुल्क को आजाद कराया है. लेकिन इसके बाद भी नाथूराम गांधी की हत्या का कारण क्यों बना इस पर अलग कहानी है.


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हैदराबाद आन्दोलन में संभाला मोर्चा

1940 में हैदराबाद के तत्कालीन शासक निजाम ने उसके राज्य में रहने वाले हिन्दुओं पर बलात जजिया कर लगाने का निर्णय लिया जिसका हिन्दू महासभा ने विरोध करने का निर्णय लिया. हिन्दू महासभा के तत्कालीन अध्यक्ष विनायक दामोदर सावरकर के आदेश पर हिन्दू महासभा के कार्यकर्ताओं का पहला जत्था नाथूराम गोडसे के नेतृत्व में हैदराबाद गया. हैदराबाद के निजाम ने इन सभी को बन्दी बना लिया और कारावास में कठोर दण्ड दिये परन्तु बाद में हारकर उसने अपना निर्णय वापस ले लिया.


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बेहद ‘सहज’ और ‘सौम्य’ थे नाथूराम

गोडसे के भाई गोपाल दास गोडसे ने एक किताब लिखी जिसका नाम है ‘मैनें गांधी को क्यों मारा?’ गोपाल गोडसे ने अपनी किताब में दब गांधी के पुत्र देवदास गोडसे से मिलने जेल पहुंचे थए तो लिखा है, ‘देवदास (गांधी के पुत्र) शायद इस उम्मीद में आए होंगे कि उन्हें कोई वीभत्स चेहरे वाला, गांधी के खून का प्यासा कातिल नजर आएगा, लेकिन नाथूराम बेहद सहज और सौम्य थे. उनका आत्म विश्वास बना हुआ था. देवदास ने जैसा सोचा होगा, उससे एकदम उलट.’


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गांधी से थे प्रेरित फिर क्यों की हत्या?

नाथूराम का कहना था कि वो गांधी से प्रेरित थे, लेकिन 1947 में भारत का विभाजन और विभाजन के समय हुई साम्प्रदायिक हिंसा ने नाथूराम को अत्यन्त उद्वेलित कर दिया. गाँधी ने देश का बंटवारे में अहम भूमिका निभाई और मुसलमानों का साथ दिया और इसके एवज में उन्होंने ना जाने कितने ही हिंदू भेंट चढ़ गए. तत्कालीन परिस्थितियों को देखते हुए बीसवीं सदी की उस सबसे बडी त्रासदी के लिये मोहनदास करमचन्द गान्धी ही सर्वाधिक उत्तरदायी समझ में आये.


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बापू के बेटे से कहा था, ‘मुझे दुख है तुमने पिता खोया’

बापू की हत्या के बाद नाथूराम गोडसे जेल में मिलने महात्मा गांधी के पुत्र देवदास गांधी गए थे. उनसे गोडसे ने कहा था कि तुम्हारे पिताजी की मृत्यु का मुझे बहुत दुख है. नाथूराम ने देवदास गांधी से कहा, मैं नाथूराम विनायक गोडसे हूं. आज तुमने अपने पिता को खोया है. मेरी वजह से तुम्हें दुख पहुंचा है. तुम पर और तुम्हारे परिवार को जो दुख पहुंचा है, इसका मुझे भी बड़ा दुख है. कृपया मेरा यकीन करो, मैंने यह काम किसी व्यक्तिगत रंजिश के चलते नहीं किया है, ना तो मुझे तुमसे कोई द्वेष है और ना ही तुम्हारे या किसी और प्रति कोई खराब भाव है.


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