राज्यसभा में आज गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने एनआरसी (NRC) मुद्दे पर विपक्ष के आरोपों पर जवाब दिया. उन्होंने धर्म के आधार पर एनआरसी में भेदभाव किए जाने की आशंका को खारिज किया. गृहमंत्री ने कहा कि एनआरसी के आधार पर नागरिकता की पहचान सुनिश्चित की जाएगी और इसे पूरे देश में लागू करेंगे. उन्होंने कहा कि किसी भी धर्म विशेष के लोगों को इसके कारण डरने की जरूरत नहीं है. यह एक प्रक्रिया है जिससे देश के सभी नागरिक एनआरसी लिस्ट में शामिल हो सकें. उल्लेखनीय है कि एनआरसी फिलहाल असम में लागू हुआ है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू नहीं करने देंगे.
इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर के ताजा हालात की जानकारी देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि पांच अगस्त को आर्टिकल 370 हटने के बाद से किसी भी शख्स की पुलिस फायरिंग में जान नहीं गई. हालात लगातार सुधार रहे हैं. किसी भी थाने में कर्फ्यू नहीं है. दवाईयों की कोई कमी नहीं है. सभी स्कूल खुले हैं. सभी अस्पताल खुले हुए हैं. इंटरनेट सेवा जल्द बहाल होनी चाहिए लेकिन इसका फैसला स्थानीय प्रशासन को लेना है. कश्मीर के सभी दफ्तर खुले हैं. पिछले साल की तुलना में इस साल पत्थरबाजी में कमी आई है.
आंध्र प्रदेश से कांग्रेस के सांसद टी सुब्रमामि रेड्डी ने पूछा कि कांग्रेस में यदि सब सामान्य है तो फिर धारा 144 क्यों लगाई गई है? अमित शाह ने जवाब में कहा कि कुछ स्थानों में लागू किया गया है. कश्मीर के 195 थानों में धारा 144 नहीं लगाई गई है. इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने करने के मसले पर वहां के प्रशासन की उचित समय पर अनुशंषा के बाद ही निर्णय लिया जाएगा. पड़ोसी देश की गतिविधियों और सुरक्षा को ध्यान में रखकर ही निर्णय करेंगे.
कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि 5 अगस्त के बाद स्कूल और कॉलेज सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. स्कूल खुले हैं लेकिन उपस्थिति कम है. स्वास्थ्य दूसरी सबसे बड़ी समस्या है. इंटरनेट सेवाएं बाधित हैं. अमित शाह ने जवाब देते हुए कहा कि आजाद साहब से मैं सहमत हूं कि इंटरनेट जरूरी है. लेकिन अतीत पर यदि नजर डालें तो पूरे देश भर में इंटरनेट 1995-96 में आया. कश्मीर में मोबाइल बीजेपी सरकार ने 2003 में शुरू किया. 2002 से इंटरनेट की परमीशन दी गई. जहां तक देश की सुरक्षा का सवाल है, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का सवाल है तब हमें कहीं न कहीं प्राथमिकता तय करनी पड़ती है.जब उचित लगेगा तो इंटरनेट चालू कर दिया जाएगा.
Also Read: शिवसेना-NCP के बीच इस बात का है रार, नहीं तो अब तक बन चुकी होती महाराष्ट्र में सरकार!
( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )