उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में मतगणना शुरू हो गई है। मतगणना कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। सुरक्षा व्यवस्था के किए सुरक्षाबल के जवानों के साथ ही मतगणना केंद्रों पर CCTV कैमरे भी लगाए गए हैं, ताकि किसी तरह की कोई गड़बड़ी न होने पाए। राज्य के प्रमुख सीटों की बात करें तो इसमें लखनऊ की सरोजनीनगर सीट भी शामिल है। जिससे बीजेपी की तरफ से ईडी के पूर्व ज्वाइंट डायरेक्टर राजेश्वर सिंह प्रत्याशी हैं। इनका मुकाबला सपा के अभिषेक मिश्रा, बसपा के मोहम्मद जलीश खान और कांग्रेस के रुद्र दमन सिंह से है। अभी तक आए परिणामों में राजेश्वर सिंह बढ़त बनाए हुए हैं। वहीं दूसरे नंबर पर सपा के अभिषेक मिश्रा हैं।
पिछली बार भी जीती थी बीजेपी
जानकारी के मुताबिक, सरोजिनी नगर सीट लखनऊ जिले का हिस्सा है। यह सीट मोहनलालगंज लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। 2017 में स्वाति सिंह ने यहां से सपा के अनुराग यादव को 34179 वोट से हराया था। 2012 में यह सीट सपा के पास थी। तब सपा के शारदा प्रताप शुक्ल और बसपा के शिवशंकर सिंह के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला था। हालांकि सपा प्रत्याशी ने शिवशंकर को 8365 वोटों से हराया था। अब 2022 में बीजेपी ने यहां से ईडी के पूर्व अधिकारी रहे राजेश्वर सिंह को मैदान में हैं। जो की सपा को पछाड़ कर आगे चल रहे हैं।
देखें आंकड़े
सरोजनी नगर में चौथे चक्र की मतगणना पूरी होने के बाद भाजपा के राजेश्वर सिंह आगे, मत मिले 3544, सपा के अभिषेक को 2,752
-सरोजनी नगर राउंड दर राउंड 8 तक
बीजेपी सपा
2362 3227
2684 3076
2797 2732
3544 2752
3524 1725
3002 1990
3560 2086
3264 3012
कौन हैं राजेश्वर सिंह
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) और कांग्रेस को मुश्किल में डालने वाले प्रवर्तन निदेशालय (ED) के संयुक्त निदेशक रहे राजेश्वर सिंह यूपी के सुल्तानपुर जिले के पखरौली के मूल निवासी हैं। उन्होंने इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स धनबाद से इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट राजेश्वर सिंह ने लॉ और ह्यूमन राइट्स में भी डिग्री ली है। 1996 बैच के पीपीएस अधिकारी (PPS Officer) हैं। लखनऊ में डिप्टी एसपी के रूप में तैनाती के दौरान उन्हें एनकाउन्टर स्पेशलिस्ट (Encounter Specialist) माना जाता था। राजेश्वर सिंह के नाम 13 एनकाउंटर हैं, जिसके जरिए वह खूंखार और कट्टर अपराधियों को कटघरे तक पहुंचाने में सफल हुए। यूपी पुलिस (UP Police) ज्वाइन करने के 14 महीने में ही उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बना ली थी। इसमें कोई हैरानी की बात नहीं कि उन्हें उनके काम के दम पर एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ और ‘साइबर जेम्स बॉन्ड’ की उपाधियों से नवाजा जाने लगा था।
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