युवराज सिंह: कैंसर को हारने वाले चैंपियन का 19 साल का कैरियर, इन बातों के लिए हमेशा रहेंगे याद

युवराज सिंह ने अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट से सन्‍यास ले लिया है. उन्‍होंने प्रेस कांफ्रेंस कर क्रिकेट को अलविदा कहने की जानकारी दी. युवराज के सन्यास की खबर सोशल मीडिया पर आते ही सनसनी मच गई. दिग्‍गज क्रिकेटरों ने युवराज के खेल को याद करते हुए उनके आगामी भविष्‍य के लिए शुभकामनाएं दी हैं. क्रिकेट की अंतरराष्‍ट्रीय संस्‍था आईसीसी, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड, आईपीएल टीम मुंबई इंडियंस, सनराइजर्स हैदराबाद,वीरेंद्र सहवाग, मोहम्‍मद कैफ समेत तमाम फैंस ने युवराज के क्रिकेट को सलाम करते हुए उनके बेहतर भविष्‍य की शुभकामनाएं दी हैं.


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शीर्ष के कई क्रिकेटर्स की तरह युवराज सिंह का करियर भी उतार-चढ़ाव से भरा रहा. युवी ने भले ही सोमवार को संन्यास ले लिया लेकिन उनकी कुछ पारियां और किस्से हमेशा याद किए जाएंगे. इनमें से कुछ हम यहां बता रहे हैं.


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पहली ही पारी में जीता मैन ऑफ़ द मैच

तब युवी ने अंडर 19 में अच्छा खेल दिया जिसकी वजह से टीम इंडिया की इंटरनैशन टीम में उन्हें जगह मिल गई. तब साल था 2000 और मौका था आईसीसीसी नॉकआउट ट्रोफी का. युवराज को केन्या के खिलाफ प्री-क्वॉर्टर फाइनल में डेब्यू करने का मौका मिला. हालांकि, उस मैच में युवी की बैटिंग नहीं आई. उनसे गेंदबाजी करवाई गई जिसमें उन्हें कोई सफलता नहीं मिली. आमतौर पर पहले ही मैच में कुछ खास न करने का प्रेशर युवा खिलाड़ी पर होता ही है. लेकिन अगले मैच में ही युवी ने खुद को साबित कर दिया. दूसरा मैच ऑस्ट्रेलिया (क्वॉर्टरफाइनल) से हुआ. इसमें युवी ने शानदार 84 (80 गेंद) रन बनाए. इसके लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच मिला. युवी ने ग्लेन मैग्रा, ब्रेट ली और जेसन गिलेस्पी जैसे तेज गेंदबाजों का डंटकर मुकाबला किया और भारत 20 रनों से यह मैच जीत गया.


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अक्टूबर 2000: अपना दूसरा एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच और पहली अंतरराष्ट्रीय पारी खेल रहे युवराज ने आईसीसी नॉकआउट टूर्नमेंट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्वॉर्टर फाइनल में 80 गेंद में 84 रन बनाकर भारत को यादगार जीत दिलाई.



जुलाई 2002: युवराज ने 69 रन की पारी खेली और मोहम्मद कैफ के साथ मिलकर भारत को इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में नेटवेस्ट सीरीज के फाइनल में 325 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 2 विकेट की रोमांचक जीत दिलाई.


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जनवरी 2004: युवराज ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ 122 गेंद में 139 रन की पारी खेली जो उस समय उनके करियर की सर्वश्रेष्ठ पारी थी.


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फरवरी 2006: युवराज सिंह एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में भारत के सबसे उपयोगी और निरंतर प्रदर्शन करने वाले क्रिकेटर के रूप में उभरे. पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज में 4-1 की जीत के दौरान उन्होंने नाबाद 87 और 79 रन की पारी खेली जिससे टीम इंडिया ने सीरीज जीती. उन्होंने इस सीरीज में 93 गेंद में नाबाद 107 रन भी बनाए जिससे भारत 287 रन के लक्ष्य का पीछा करने में सफल रहा.



फ्लिंटॉफ का गुस्सा ब्रॉड पर उतरा, लगाए 6 छक्के

बात 2007 की है। टी20 वर्ल्ड कप में भारत और इंग्लैंड का मेच हो रहा था. युवराज और धोनी बल्लेबाजी कर रहे थे तभी फ्लिंटॉफ युवी को छेड़ने लगे. बातों-बातों में दोनों के बीच बहस होने लगी जिसे अंपायर ने शांत करा दिया. फिर युवराज ने बल्ले से जवाब देते हुए स्टुअर्ट ब्रॉड की गेंद पर 6 छक्के लगा दिए. मैच में युवी ने सिर्फ 12 बॉल में फिफ्टी भी मारी थी. यह सिर्फ टी20 ही नहीं इंटरनैशनल क्रिकेट में सबसे तेज फिफ्टी है.


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सचिन ने नाम की वर्ल्ड कप की जीत

2011 वर्ल्ड कप से पहले युवराज का फॉर्म बहुत ज्यादा खास नहीं चल रहा था. फिटनेस भी उनके लिए चुनौती बनती जा रही थी. वर्ल्ड कप से पहले तो युवराज को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में मौका ही नहीं मिला था, लेकिन वर्ल्ड कप में युवी ने खुद को साबित किया और हीरो बन गए. सीरीज में उन्होंने 362 रन बनाए जिसमें 1 शतक, 4 अर्धशतक और 15 विकेट शामिल थे. इसके लिए उन्हें चार मैन ऑफ द मैच और फिर प्लेयर ऑफ द टूर्नमेंट दिया गया. भारत के बाकी लोगों की तरह युवी भी सचिन के फैन थे. लेकिन वर्ल्ड कप जीतने के बाद जब युवी ने कहा कि यह वर्ल्ड कप वह सचिन के लिए जीतना चाहते थे तो सब हैरान रह गए थे.


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कैंसर को चैंपियन की तरह हराया

वर्ल्ड कप के दौरान ही युवी की तबीयत बिगड़ने लगी थी. लेकिन उन्होंने किसी को इसका अहसास नहीं होने दिया, फिर साल 2011 में ही खबर आ गई कि युवी को कैंसर है. यह खबर उनके फैंस के साथ-साथ युवी के लिए भी चौंकानेवाली थी, फिर भी परिवार और खास दोस्तों की वजह से युवराज ने कैंसर को हराया और बाकी लोगों को इसकी प्रेरणा दी. युवराज बताते हैं कि उस वक्त में सबसे ज्यादा मेहनत उनकी मां ने की और खुद कभी कमजोर न पड़ते हुए उन्हें नई जिंदगी दिलाई.


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