प्रयागराज महाकुंभ में मची भगदड़ और उसमें हुई मौतों से जुड़ी जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाईकोर्ट में मामला दाखिल करने को कहा है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने इसे एक दुर्भाग्यपूर्ण और गंभीर घटना बताया।
याचिका में मांग
याचिका में महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों में सुरक्षा बढ़ाने और आम लोगों के लिए ज्यादा जगह बनाने की मांग की गई थी। इसके अलावा, VIP मूवमेंट को सीमित करने और श्रद्धालुओं को सही जानकारी देने के लिए डिस्पले बोर्ड और मोबाइल व व्हाट्सएप के जरिए सूचना देने की भी सिफारिश की गई थी।
मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में दी जानकारी
मुकुल रोहतगी, जो यूपी सरकार की तरफ से कोर्ट में मौजूद थे, ने बताया कि महाकुंभ में हुई भगदड़ की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग बना दिया गया है। इसके अलावा, हाईकोर्ट में भी इस मामले को लेकर कुछ याचिकाएं दायर की गई हैं। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अब हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है, और राज्य सरकार ने जांच आयोग बना दिया है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट को इसमें दखल देने की जरूरत नहीं है।
महाकुंभ में भगदड़ से हुई मौतें
प्रयागराज महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या के दिन संगम में स्नान से पहले भगदड़ मचने से 30 लोगों की मौत हो गई और 60 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। यह हादसा बेहद दुखद था और पूरे देश में सुरक्षा इंतजामों पर सवाल उठाए गए।
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सरकार से दिशा-निर्देश की मांग
याचिका में केंद्र और राज्य सरकारों से एक साथ मिलकर महाकुंभ जैसी घटनाओं में श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की अपील की गई थी। याचिका में भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत यह मांग की गई कि राज्य सरकारें भगदड़ जैसी घटनाओं को रोकने के लिए सही दिशा-निर्देश जारी करें।