कैश कांड में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) के खिलाफ संसद में महाभियोग (Impeachment) प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला (Om Birla) को सोमवार को 145 सांसदों के हस्ताक्षर वाला एक पत्र सौंपा गया, जिसमें जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाने की सिफारिश की गई है। इसी तरह राज्यसभा में भी विपक्षी सांसदों ने चेयरमैन जगदीप धनखड़ को पत्र सौंपा है। यह बैठक सोमवार दोपहर दो बजे हुई, जहां विपक्षी नेताओं ने मिलकर स्पीकर को यह पत्र दिया।
कई दलों के नेताओं ने किए हस्ताक्षर
महाभियोग प्रस्ताव का समर्थन करने वाले सांसदों में कांग्रेस, टीडीपी, जेडीयू, जेडीएस, शिवसेना, जनसेना, सीपीएम समेत कई विपक्षी दलों के नेता शामिल हैं। खास बात यह है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी, एनसीपी की सुप्रिया सुले, भाजपा के अनुराग ठाकुर, रविशंकर प्रसाद और राजीव प्रताप रूडी जैसे प्रमुख नेताओं ने भी इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल का नाम भी समर्थनकर्ताओं की सूची में है।
समर्थन संख्या 145 पार
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को ही जानकारी दी थी कि 100 से अधिक सांसद पहले ही महाभियोग के समर्थन में दस्तखत कर चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि महाभियोग की प्रक्रिया केवल सरकार का काम नहीं है, बल्कि इसके लिए सभी दलों की सहमति ज़रूरी है। अब यह संख्या बढ़कर 145 तक पहुंच गई है, जिससे महाभियोग की मांग को बल मिला है।
जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती
इस बीच जस्टिस यशवंत वर्मा ने खुद को लेकर चल रही कार्रवाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने कोर्ट द्वारा गठित इन-हाउस पैनल की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा है कि न तो उनके खिलाफ कोई औपचारिक शिकायत की गई थी और न ही जांच प्रक्रिया के दौरान उनका पक्ष सुना गया। उनका कहना है कि इन-हाउस समिति को इस प्रकार की सिफारिश करने का अधिकार नहीं है।
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आगे की प्रक्रिया पर नजर
अब महाभियोग प्रस्ताव की प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ेगी, इस पर राजनीतिक और संवैधानिक चर्चाएं तेज हो गई हैं। स्पीकर और चेयरमैन द्वारा प्रस्ताव स्वीकार करने के बाद यह जांच समिति को भेजा जा सकता है, जिसके बाद सदन में बहस और मतदान की प्रक्रिया होगी। ऐसे में यह देखना अहम होगा कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ यह प्रस्ताव कानूनी कसौटी पर कितना खरा उतरता है।