बॉलीवुड: इंडस्ट्री के दिग्गज कलाकार मनोज बाजपेयी की फैन फोल्लोविंग करोड़ो में है. मनोज बाजपेयी की इन दिनों वेब सीरीज ‘द फैमिली मैन’ का दूसरा सीजन काफी धमाकेदार चल रहा है. एक तरफ जहां इस वेब सीरीज को दर्शकों का बेहिसाब प्यार मिल रहा है वहीं दूसरी तरफ इस वेब सीरीज को तमिलनाडु में बैन किए जाए की संभावनाएं प्रबल नजर आ रही हैं. इस सीरीज में राजनितिक तथ्यों को लेकर काफी ज्यादा खींचातानी नजर आ रही है. ऐसे में हम आज आपको बताने जा रहे हैं उन कुछ फिल्मों के बारे में जिन्हें तमिलनाडु में बैन किया जा चुका है.
मद्रास कैफे-
फिल्म मद्रास कैफे के डायरेक्टर शूजीत सरकार के डायरेक्शन में बनी जॉन अब्राहम स्टारर ये फिल्म भी काफी ज्यादा विवादों में रही थी. 1980 के बैकड्रॉप में बनी ये फिल्म श्रीलंका के सिविल वॉर में भारत के दखल और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के निधन जैसे मुद्दों पर बात करती है. इस फिल्म ने तमिलनाडु की राजनीति में हलचल मचा दी थी. CBFC की तरफ से हरी झंडी मिलने के बावजूद इस फिल्म को तमिलनाडु में रिलीज की अनुमति नहीं मिली थी.
इनाम-
फिल्म इनाम के डायरेक्टर संतोष सिवान की इस फिल्म पर भी तमिलनाडु में विवादों की भेंट चढ़ गई. ये फिल्म श्रीलंकाई गृहयुद्ध के दौरान अनाथों के एक समूह के बारे में थी. ये उन फिल्मों में से एक थी जिन्हें रिलीज किए जाने के बाद तमिलनाडु के सिनेमाघरों से हटाया गया था. तमिल फ्रिंज समूहों ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की क्योंकि यह श्रीलंकाई गृहयुद्ध के दौरान तमिल विद्रोहियों के संघर्ष के बारे में थी और शरणार्थियों के एक समूह पर केंद्रित थी.
विद यू, विदआउट यू-
श्रीलंकाई फिल्ममेकर प्रसन्ना विथानगे की फिल्म विद यू विदाउट यू एक युवा जोड़े के बीच संबंधों के बारे में बात करती है. ये फिल्म श्रीलंकाई गृहयुद्ध के बैकड्रॉप में गढ़ी गई है. ये फिल्म रिलीज के महज एक दिन बाद थिएटर्स से हटवा दी गई थी. इतना ही नहीं एक रिपोर्ट के मुताबिक चेन्नई के दो मल्टीप्लेक्स मालिकों को जान से मारने की धमकियां भी दी गई थीं.
पुलीपारवई-
प्रवीण गांधी की तमिल फिल्म पुलीपारवई लिट्टे प्रमुख वी. प्रभाकरन के बेटे बालचंद्रन के जीवन पर आधारित थी. साल 2014 में रिलीज होने के बाद ये फिल्म विवादों में आ गई. कई तमिल समर्थक फिल्म की रिलीज के खिलाफ थे और सैकड़ों छात्रों ने इसकी रिलीज के खिलाफ विरोध किया था.
कुत्ररापथिरिकाई-
ऐसे ही फिल्म कुत्ररापथिरिकाई में राजीव गांधी जी के हत्याकांड में बात करती आरके सेल्वमनी ने साल 1991 में बनाई गई थी. 15 सालों तक इसे CBFC की अनुमति नहीं मिली. वजह था फिल्म में बहुत ज्यादा राजनीतिक विवाद की संभावना होना. मद्रास हाई कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद जब साल 2007 में इसे रिलीज किया गया तो इसमें बहुत से कट लगाए गए और ए सर्टिफिकेट के साथ इसे गिनी चुनी जगहों पर ही रिलीज किया गया.
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