उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) और पूर्व बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह (Brijbhushan Sharan Singh) के बीच एक अहम मुलाकात ने सियासी हलचलें तेज कर दी हैं। बृजभूषण ने इस मुलाकात के बाद साफ किया कि यह किसी भी तरह से राजनीतिक नहीं थी, बल्कि व्यक्तिगत भावनाओं को साझा करने का मौका था। उन्होंने कहा, ‘मैं 31 महीने बाद योगी जी से मिला हूं। इसमें कुछ भी पॉलिटिकल नहीं था। बस अपना गम-शिकवा शेयर किया। वैसे भी मेरे मुख्यमंत्री से 56 साल से संबंध हैं।’
जीवन में उतार-चढ़ाव आता है: बृजभूषण
मीडिया से बातचीत में बृजभूषण ने बताया कि जनवरी 2023 में उन पर आरोप लगने के बाद से मुख्यमंत्री से उनकी कोई बात नहीं हुई थी। उन्होंने कहा, “जीवन में उतार-चढ़ाव होता रहता है। 2023 जनवरी में मुझपर आरोप लगा था, तब से सीएम से कोई बात नहीं हुई थी। जब मुझ पर आरोप लगा था तभी तय कर लिया था कि ये लड़ाई मेरी है और मैं ही इसे लडूंगा।
सीएम का कार्यक्रम रद्द हुआ, तभी दूरी बन गई थी: बृजभूषण
बृजभूषण शरण सिंह ने आगे बताया कि जब जनवरी 2023 में मुख्यमंत्री का कार्यक्रम रद्द हुआ था, तभी से दोनों के बीच दूरी आ गई थी। उन्होंने कहा,’मैंने तभी कहा था कि जब वो बुलायेंगे तभी मिलने जाऊंगा। अब जब उन्होंने मुझे बुलाया तो मैं मिलने पहुंच गया। आप कह सकते हैं, मुलाकात में परिवार के दो लोगों ने अपना गम-शिकवा शेयर किया, इसमें कुछ भी पॉलिटिकल नहीं है।’
31 महीने बाद मुलाकात !!
बृजभूषण शरण सिंह बोले – “सीएम योगी से मुलाकात राजनीतिक नहीं, पारिवारिक थी। ”@myogiadityanath । @CMOfficeUP । @b_bhushansharan । @khabripratibha । #CMYogiAdityanath । #BrijBhushanSharanSingh #cmyogi pic.twitter.com/yudOCoIlRj— Breaking Tube (@BreakingTubeX) July 22, 2025
राजनीतिक गलियारों में चर्चा, लेकिन बृजभूषण ने किया इनकार
हालांकि बृजभूषण सिंह ने इसे शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है, लेकिन राजनीतिक हलकों में इस मुलाकात को एक बड़े घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है। खासकर पूर्वांचल की राजनीति और 2027 विधानसभा चुनावों के लिहाज़ से इसे अहम माना जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि इस भेंट के ज़रिये दोनों नेताओं के बीच लंबे समय से बंद पड़ा संवाद दोबारा शुरू हो सकता है।
2024 के चुनाव में नहीं मिला था टिकट
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुलाकात बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के इशारे पर हुई है, ताकि 2027 के चुनाव से पहले पार्टी में एकजुटता और तालमेल का संदेश दिया जा सके। बृजभूषण लंबे समय तक बीजेपी के सांसद रहे हैं और राम मंदिर आंदोलन में भी उनकी अहम भूमिका रही है। हालांकि महिला पहलवानों के आरोपों के बाद 2024 के चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिला था, लेकिन उनके बेटे करण भूषण को टिकट देकर पार्टी ने संदेश दिया कि परिवार से नाता नहीं तोड़ा गया।
बेटों की सक्रियता और योगी से समीपता
गौरतलब है कि बृजभूषण के बेटे प्रतीक भूषण गोंडा सदर से विधायक हैं, जबकि करण भूषण कैसरगंज से सांसद चुने गए हैं। दोनों ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लगातार संपर्क में रहते हैं और मुख्यमंत्री भी उन्हें अहमियत देते हैं। ऐसे में यह मुलाकात जहां एक ओर निजी संबंधों का प्रतीक मानी जा रही है, वहीं इसके राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं।
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